भारत सिर्फ मैच ही नहीं जीतता बल्कि पाकिस्तानियों का दिल भी जीतता है, ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि इस बात की तस्दीक वो घटनाएं करती हैं, जब पाकिस्तानी नागरिकों ने अपने देश से ज्यादा भारत से उम्मीद जताई हो। ये खबर ऐसे ही मामलों की कहानी बयां करती हैं।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भारतीयों ही नहीं दूसरे मुल्कों के लोगों की परेशानियों पर भी गंभीरता से विचार करती है। सोशल मीडिया पर विदेशी यात्री जिस तरह से उनसे सहयोग की अपील करते हैं यह इस बात का प्रमाण है। शायद यही वजह है कि पाकिस्तानी नागरिक अपने अधिकारियों से संपर्क करने के बजाय सीधे भारतीय विदेश मंत्री से अपील कर रहे हैं।
ताजा मामला पाकिस्तान का है जहां एक पाकिस्तानी नागरिक सईद अयूब ने अपने पिता के इलाज भारत में कराने के लिए वीजा की मांग की। सुषमा स्वराज ने रविवार को एक पाकिस्तानी शख्स को मेडिकल वीजा का आश्वासन दिया। सईद अयूब नाम के इस शख्स ने ट्वीट किया कि उनके पिता लिवर की बीमारी से पीड़ित हैं और भारत में उनका इलाज कराने के लिए उन्होंने अपनी आधी संपत्ति बेच दी। अब उन्हें मेडिकल वीजा नहीं मिल रहा है। बता दें कि बीते 3 दिन के भीतर यह दूसरा मामला है जब पाकिस्तानी नागरिक ने अपने सरकार की जगह भारतीय विदेश मंत्री से वीजा की अपील की है। वहीं, सुषमा ने सकारात्मक लहजे में जवाब देते हुए उन्हें वीजा अप्लाई की सही प्रक्रिया बताई है।
इसके जवाब में सुषमा ने ट्वीट किया, ‘मेरी सहानुभूति आपके साथ है। हम आपको वीजा देंगे। सरताज अजीज को आपके मामले की सिफारिश करनी चाहिए।’ दो दिन पहले पाकिस्तानी नागरिक मजहर हुसैन ने वीजा के लिए सुषमा से अपील की थी। तब सुषमा ने कहा था कि भारत ने उनके वीजा आवेदन को रद्द नहीं किया है। अगर सरताज अजीज की ओर से सिफारिश की गई तो उन्हें जरूर वीजा दिया जाएगा। इसलिए वह उनकी जगह सरताज अजीज से अपील करें। इससे पहले सुषमा एक पाकिस्तानी बच्चे के इलाज के लिए भी वीजा का भरोसा दे चुकी हैं। इसके लिए उन्होंने बच्चे के पिता को भारतीय उच्चायोग से संपर्क करने का सुझाव दिया था।
मेडिकल वीजा के लिए भारत पर निर्भर पाकिस्तानी
पहले साउथ एशियाई देशों के ज्यादातर पेशेंट्स मेडिकल वीजा के लिए सिंगापुर या थाईलैंड का रुख करते थे। लेकिन, बीते कुछ साल से भारत में मेडिकल फैसेलिटीज में जबरदस्त सुधार हुआ। अब एशियाई देशों के ज्यादातर पेशेंट्स इलाज के लिए भारत को तवज्जो देते हैं। दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में हर महीने करीब 500 पाकिस्तानी पेशेंट्स इलाज के लिए आते हैं। इनमें लीवर ट्रांसप्लांट के पेशेंट्स भी होते हैं। अपोलो में इस पर करीब 30 लाख रुपए खर्च होता है जबकि यूरोप या बाकी देशों में खर्च छह से सात गुना ज्यादा होता है। दूसरी बात, भाषा की भी ज्यादा दिक्कत नहीं आती।