श्रीनगर : घाटी में लोगों के बढ़ते रोष, हिंसक झड़पों और अत्यधिक बल का इस्तेमाल करने के आरोपों के बीच दक्षिणी कश्मीर में सेना और पुलिस बड़ी पशोपेश में एक-दूसरे की ओर देख रहे हैं। दोनों के सामने चुनौतियां काफी ज्यादा हैं। बुरहान वानी की मुठभेड़ के दौरान हुई मौत के बाद घाटी में जनजीवन बिल्कुल ठप हो गया है। इतना ही नहीं, बल्कि घाटी में आतंकवाद विरोधी मुहिमों और ऑपरेशन्स को भी गहरा धक्का लगा है। घाटी में तैनात सुरक्षा बलों का कहना है कि उन्हें भीड़ के बीच आतंकियों की मौजूदगी के बारे में जानकारी है, लेकिन मौजूदा स्थितियों में वे कुछ नहीं कर सकते हैं। उन्हें यह भी डर है कि घाटी में शांति बहाल करने की उनकी कोशिशें शायद बेनतीजा रहेंगी। सूत्रों का कहना है कि जनता के भारी समर्थन के कारण हाल के हफ्तों में आतंकियों ने दक्षिणी कश्मीर में कई जगहों पर जनसभाओं को संबोधित किया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इन स्थितियों पर टिप्पणी करते हुए बताया, ‘हां, यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। इस तनाव ने कश्मीर में एक नई तरह के आतंकवाद को जन्म दिया है। हमें अब शून्य से शुरू करना होगा। पहले लोग आतंकियों को दूर रखते थे। अब मौजूदा हालातों में आतंकियों को जनता का समर्थन मिल रहा है। ऐसी स्थितियों में हमारे लिए आतंकवाद विरोधी गतिविधियां कर पाना बहुत मुश्किल होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आतंकी कहां छुपे बैठे हैं यह हमें मालूम है, लेकिन इन हालातों में हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं।’
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक करीब 120 पाकिस्तानी आतंकी गुलमर्ग और कुपवाड़ा सेक्टर में ऊंची चोटियों से दक्षिण कश्मीर में घुस आए हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के भी कई आतंकवादी शामिल हैं। हाल ही में सेना को युसमर्ग और बाबा रेशी में ऊंचाई वाले इलाकों पर करीब 2 दर्जन आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली है। मालूम हो कि सोमवार को कश्मीर में हिंसा का लगातार 30वां दिन है। कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है। अब तक 56 लोग मारे जा चुके हैं और 6,000 से भी ज्यादा लोग घायल हुए हैं। करीब 400 लोग पैलेट गन्स के कारण चोटिल हुए हैं।