सारंग दास्ताने, पुणे :अगर कोई सिविल एडमिनिस्ट्रेशन किसी आतंकी नेटवर्क को खत्म करने और सुरक्षा के लिए आर्मी के इस्तेमाल का फैसला करती है तो फौज को इस पर काबू पाने के लिए ‘फायरिंग करने’ की इजाजत होनी चाहिए। पुणे में शनिवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह बात कही। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं फौज को लाठी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग नहीं देना चाहता।’
उत्तर पूर्व में AFSPA कानून (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर ऐक्ट) के इस्तेमाल पर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद उठे सवालों पर रक्षा मंत्री मीडिया से बात कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने आर्मी की लंबे समय से तैनाती और AFSPA कानून लागू करने पर कड़ी फटकार लगाई थी। AFSPA मणिपुर में सेना के ‘कामकाज’ को कानूनी संरक्षण देता है।
उन्होंने कहा, ‘हम लोगों को गंवा नहीं सकते। इसलिए जहां कहीं भी आर्मी का इस्तेमाल किया जाता है, अधिकार उसी के पास होंगे। नहीं तो फौज का इस्तेमाल मत कीजिए। वास्तव में मुझे खुशी तब होगी जब देश में प्राकृतिक आपदा के मौकों को छोड़कर कहीं भी आर्मी का इस्तेमाल न किया जाए।’
पर्रिकर रक्षा संपदा निदेशालय के एक दफ्तर के उद्घाटन के लिए पुणे दौरे पर आए हुए थे। कश्मीर की स्थिति से जुड़े सवालों पर मनोहर पर्रिकर ने कहा कि ये बातें गृह मंत्री से पूछी जानी चाहिए क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में रक्षा मंत्रालय की कोई सीधी भूमिका नहीं होती है।
सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे सेना की कथित बर्बरता वाले विडियो को पर्रिकर ने फर्जी बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेना बर्बर नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘हम महज किसी मारने के लिए नहीं मारते। कभी-कभी गलती होती है। इंडियन आर्मी किसी को मारने का माद्दा रखती है लेकिन यह बर्बर फौज नहीं है।’