दिल्ली MCD चुनाव में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हार की समीक्षा के लिए विधायकों की बैठक बुलाई। केजरीवाल के घर पर ही सभी विधायकों को बुलाया गया था। केजरीवाल की समीक्षा बैठक में सभी विधायक सहित MCD में चुनकर आये 48 पार्षद भी मौजूद थे। बता दें कि एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी कुल 48 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। उम्मीद है कि कुछ नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अब पार्टी में बदलाव होने की भी संभावना है।
नेताओं का याद दिलाया फर्ज
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने निवास पर नवनिर्वाचित पार्षदों को बधाई के साथ यह नसीहत भी दी। केजरीवाल ने पार्टी नेताओं और विधायकों की मौजूदगी में नवनिर्र्वाचित पार्षदों को विश्वासपात्र बने रहने व पार्टी न छोड़ने की शपथ दिलाई। केजरीवाल ने अपने पार्षदों को याद दिलाया कि यह पार्टी आंदोलन से निकली है, यह आप सब की मेहनत और कुर्बानी का नतीजा है।
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के मूल सिंद्धात को हर हाल में जिंदा रखना है। उन्होंने कहा कि पार्टी को खड़ा करने के लिए बहुत सारे कार्यकर्ताओं ने अपनी-अपनी नौकरियां छोड़कर काम किया है।
हम सब लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम उन कार्यकर्ताओं के बलिदान और त्याग का सम्मान करते हुए पार्टी को पूरी ईमानदारी से आगे बढ़ाएं और पार्टी की मूल विचारधारा के साथ जनता के लिए काम करें।
‘अगर धोखा दिया को भगवान माफ नहीं करेगा’
“नगर निगम में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है। इसलिए आपको तोड़ने की कोशिश की जाएगी। आपको लालच दिया जाएगा। अगर कोई भी पैसा लेता है तो वो फलेगा नहीं। अगर आपने धोखा दिया तो भगवान आपको माफ नहीं करेगा। सभी के फोन में रिकॉर्डिंग होती होगी। कोई भी अगर फोन आता है तो उसको रिकॉर्ड करना है, ताकि बाद में प्रेस कांफ्रेंस कर लोगों को बता पाएंगे।”
THE END से डरे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल को अब ये डर सता रहा है कि MCD चुनावों के बाद उनकी पार्टी बिखर सकती है, ऐसे दौर में पार्टी को बचा कर रखना और भी विधायकों को एक मुठ्ठी में बांधकर रख पाना केजरीवाल के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इन चुनावों के नतीजों से केजरीवाल की मुहिम को बड़ा धक्का लगा है। अब पार्टी के भीतर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं। अगले चंद हफ्तों में लाभ के पद के मसले पर फैसला आ सकता है। इस मामले में आप के 21 विधायक फंसे हैं। यदि फैसला आप के खिलाफ गया और अगले चंद महीनों में दोबारा इन 21 सीटों पर चुनाव हुए, तो आप को जनता के बीच तब तक अपनी लोकप्रिय छवि को हासिल करने के लिए दोबारा मेहनत करनी होगी और यदि उसमें भी आप पराजित हो गई तो वह पार्टी के मनोबल को पूरी तरह से तोड़ने जैसा होगा।
वैसे भी पंजाब में सत्ता में आने का ख्वाब देखने वाली आप नतीजों के बाद मायूस हो गई। ऐसा लगता है कि वह इस हार से उबर ही नहीं पाई तभी तो वह बीजेपी के मुकाबले नगर निगम चुनाव में मजबूती से उतर नहीं पाई। चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा दिख भी रहा था। इन मौजूदा सियासी परिस्थितियों में आप और अरविंद केजरीवाल की भविष्य की राह बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है।