दिल्ली
तीखे सवालों से नाराज होकर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज एक प्रेस वार्ता अचानक खत्म कर दी । इस प्रेस वार्ता को महबूबा और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह संबोधित कर रहे थे । दरअसल, महबूबा उस वक्त बिफर पड़ीं जब राज्य के मौजूदा संकट से निपटने में उनकी भूमिका की तुलना 2010 में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के दौरान उनके रूख से की गई ।
प्रेस वार्ता के दौरान मंच पर बैठे राजनाथ को महबूबा को शांत करने की कोशिश करते देखा गया । महबूबा उस पत्रकार पर बरस रही थीं जिसने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि 2010 में जब विरोध-प्रदर्शन हुए थे तो बल प्रयोग और अलगाववादियों को हिरासत में लेने के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के फैसले का उन्होंने विरोध किया था ।
बुरी तरह नाराज महबूबा ने कहा, ‘‘मुझे क्या बोलेंगे ये, सर । मैंने इनके बच्चों को बचाया है टास्क फोर्स से ।’’ इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने अचानक से कहा, ‘‘शुक्रिया, अब आप चाय पी सकते हैं ।’’ 57 साल की महबूबा उस वक्त बिफरी नजर आ रही थीं जब एक पत्रकार ने 2010 के विरोध-प्रदर्शनों के दौरान उनके रूख के बारे में सवाल किया और उनके कई ऐसे इंटरव्यू का हवाला दिया जिसमें उन्होंने तत्कालीन उमर अब्दुल्ला सरकार की ओर से बच्चों के खिलाफ बल प्रयोग और हुर्रियत नेताओं की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए थे ।
घाटी में कायम मौजूदा अशांति के दौरान महबूबा के रूख के बारे में उनसे सवाल करते हुए इस पत्रकार ने यह टिप्प्णी भी की कि ऐसा लगता है जैसे उन्होंने और उमर ने महज जगहें बदली हैं ।
इस पर महबूबा ने जवाब दिया, ‘‘आपका विश्लेषण गलत है । साल 2010 में एक वजह थी । मछिल में एक फर्जी मुठभेड़ हुई थी जिसमें तीन आम लोग मारे गए थे । इसके बाद शोपियां में दो महिलाओं के बलात्कार और उनकी हत्या कर दिए जाने के आरोप थे । कहने का मतलब यह है कि लोगों के गुस्से की एक वजह थी ।’’ मौजूदा विरोध प्रदर्शनों में हुई मौतों पर महबूबा ने कहा, ‘‘मारे गए 95 फीसदी लोग ऐसे नौजवान हैं जो गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं । सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमले के बाद हुई जवाबी कार्रवाई में उनकी जान गई…2010 और अभी के हालात की तुलना नहीं की जा सकती ।’’ महबूबा ने अपनी पहले की एक टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए कहा कि कश्मीर के महज पांच फीसदी लोग हिंसक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि उनके कहने का मतलब यह है कि 95 फीसदी लोग समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं और पांच फीसदी लोगों ने हिंसा में शामिल होकर पूरे मुद्दे को ‘‘हथिया लिया’’ है ।
पिछले 48 दिनों से घाटी में कफ्र्यू लगे होने की वजहांे के बारे में पूछे जाने पर महबूबा ने कहा कि पांच फीसदी उपद्रवी सुरक्षा शिविरों पर हमलों को अंजाम देने के लिए बच्चों और नौजवानों को ‘‘ढाल’’ के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ये उपद्रवी हमारे बच्चों को मरवाना या उन्हें अंधा बनाना चाहते हैं ।’’ महबूबा को बिफरते देख राजनाथ ने मुस्कुराते हुए दखल दिया और पत्रकारों से कहा कि वे मुख्यमंत्री से बाद में अपनी चर्चा जारी रख सकते हैं ।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा, ‘‘मैं कश्मीर मुद्दे के समाधान के पक्ष में हूं । वार्ता होनी चाहिए । लेकिन पत्थरबाजी करके और शिविरों पर हमला करके कोई मुद्दा नहीं सुलझने वाला । हम मुद्दे को दरकिनार नहीं कर रहे । हम समाधान चाहते हैं ।’’