राष्ट्रपति चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज होती जा रही है। सत्तारूढ़ राजग सरकार के पास इस चुनाव में अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं है। हालांकि यह जरूर है कि संख्याबल के लिहाज से उसका पलड़ा भारी है। इधर दूसरी तरफ विपक्षी दल सरकार से मांग कर रहे हैं कि ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए जिसके नाम पर आम सहमति बन सके। भारतीय जनता पार्टी ने इसके तहत तीन सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति के नेता शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने वाले हैं। दरअसल विपक्ष की तरफ से इस काम की सारी जिम्मेदारी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के कंधों पर डाली जा चुकी है। अब सवाल उठता है कि सत्ताधारी दल के पास ऐसा कौन नेता है जिसके नाम पर विपक्ष को तोड़कर समर्थन जुटाया जा सकता है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ही एक ऐसी शख्सियत हैं जिन पर सत्ता के साथ-साथ विपक्ष के कुछ दल अपनी सहमति राष्ट्रपति पद के लिए दे सकते हैं। हालांकि अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए किसी के भी नाम पर अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी सबसे ज्यादा चर्चा सुषमा स्वराज के नाम को लेकर हो रही है। जानकार बताते हैं कि राष्ट्रपति भवन की दौड़ में सुषमा स्वराज सबसे आगे हैं।
अपने काम और व्यवहार को लेकर सभी दलों में सुषमा स्वराज के लिए विशेष सम्मान है। किसी के साथ उनका कोई मतभेद भी नहीं है। इसके अलावा जब मदद की बारी आती है तो वे सबसे आगे नज़र आती हैं। सोशल मीडिया पर वह मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। सूत्र बताते हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अगर बीजेपी सुषमा स्वराज या किसी भी महिला उम्मीदवार को उतारती है तो वह विरोध करने की स्थिति में नहीं होगी।
सुषमा स्वराज के साथ जिन और नामों की चर्चा चल रही है उनमें सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलौत, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम प्रमुख हैं। हालांकि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही करना है। इस पर लालू प्रसाद यादव टिप्पणी भी कर चुके हैं कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री के पेट में है, बाकी सब आंख में धूल झोंकने जैसा है।