हालांकि ये मामला साल 2009 का है। वरुण गांधी पर भड़काऊ भाषण के आरोप में थाना बरखेड़ा व कोतवाली सदर में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें सीजेएम अदालत से वरुण गांधी बरी हो गए थे। इस फैसले के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 311 के तहत आवामी काउंसिल फॉर डेमोक्रेसी एंड पीस के महासचिव असद हयात ने एक याचिका प्रदेश सरकार व वरुण गांधी के खिलाफ दायर की थी, जिसके साथ ही प्रदेश सरकार ने भी अपील दायर की थी और न्यायालय ने 29 मई 2013 को वरुण गांधी के खिलाफ दोनों अपीलों को स्वीकार किया था।
भड़काऊ भाषण मामले में भाजपा सांसद वरुण गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस मामले को लेकर पीलीभीत के जिला जज ने सख्त तेवर दिखाए हैं। उन्होंने तीन साल से समन तामील नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की है। साथ ही यूपी सचिवालय व लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से इस बार समन तामील कराने के आदेश दिए हैं।
तीन साल होने के बाद भी जब पुलिस व डाक विभाग की ओर से भाजपा सांसद वरुण गांधी को सम्मन तामील नहीं हुआ तो अब जिला जज ने सचिवालय/लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से वरुण गांधी को सम्मन तामील कराने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई अब 30 सितम्बर को तय की है।
गौरतलब है कि वरुण गांधी के विवादित बयान वक्त वक्त पर सामने आते रहते हैं। हाल ही में फिर उन्होंने विवादित बयान दिया था जिसके बाद पार्टी ने उन्हें चुप रहने और मीडिया के सामने संभल कर बोलने की नसीहत दी थी।