दिसंबर महीना तमिलनाडु के लिए क्यों रहता है ‘मनहूस’? दिसंबर ने तमिलनाडु से क्या-क्या छीना?

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तमिलनाडु

इतिहास गवाह है कि जब-जब तमिलनाडु पर कोई आपदा आई.. तब-तह तारीखें गवाह बन गईं। इन तारीखों में कैद है इतिहास का वो कड़वा सच। जो ये बयां करता है कि साल का आखिरी महीना दिसंबर तमिलनाडु के लोगों के लिए अशुभ संकेत लेकर आता है और उन्हें कभी न भूल पाने की गहरी चोट देकर जाता है।

साल का आखिरी महीना दिसंबर तमिलनाडु के लिए अक्सर उथल-पुथल वाला होता है। राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से लेकर महान हस्तियों के निधन तक… सब कुछ दिसंबर में हुआ। पिछले कुछ दशकों में दिसंबर तमिलनाडु के लोगों की खुशियों में कई बार घात लगा चुका है। चलिए तारीख के जरिए इतिहास के आइने में झांककर देखते हैं दिसंबर और तमिलनाडु की क्षति की कुछ बड़ी घटनाएं।

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तारीख – 5 दिसंबर 2016

तमिलनाडु की सबसे प्रभावशाली महिला मानी जाने वाली राज्य की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का निधन, जिसके बाद पूरा तमिलनाडु आंसुओं के सैलाब में डूब गया।

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दिसंबर 2015

अभूतपूर्व मूसलाधर बारिश हुई जिसके बाद तमिलनाडु के कई जिले पानी में डूब गए। चेन्नई, कांचीपुरम, कुड्डालोर, तिरुवल्लूर और तूतुकुड़ी के लोग अब भी उबर नहीं पाए हैं।

दिसंबर 2004

तमिलनाडु में भीषण सुनामी आई जिसने लोगों की जिंदगी में ग्रहण लगा दिया। इस प्राकृतिक आपदा में सूबे में जान और माल का भारी नुकसान हुआ।

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24 दिसंबर 1987

अन्नाद्रमुक के संस्थापक, करिश्माई अभिनेता और फिर राजनीति में आकर राज्य के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने वाले एम.जी. रामचंद्रन का निधन हुआ।

25 दिसंबर 1972

भारत के अंतिम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी का निधन हुआ।

24 दिसंबर 1972

तर्कवादी नेता पेरियार ईवी रामासामी का निधन हुआ।