विवादित इस्लामी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक के ‘आइआरएफ एजुकेशन ट्रस्ट’ को सरकार ने पूर्व अनुमति की श्रेणी में रख दिया है। इसका मतलब है कि यह संगठन अब केंद्र सरकार की अनुमति के बिना कोई विदेशी सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगा।
जाकिर नाइक का एनजीओ अब सीधे विदेशी चंदा नहीं ले सकेगा। उसे विदेश से आने वाले फंड की जानकारी सरकार को देनी होगी। ऐसा केंद्र सरकार के एक फैसले की वजह से होगा। इस फैसले के बाद अब जाकिर नाईक का एनजीओ सीधे विदेशी फंड न लेकर पहले सरकार को इसकी जानकारी देगा। सरकार के फैसले के बाद ही ये फंड एनजीओ के अकाउंट में ट्रांसफर होगा।
गृह मंत्रालय ने गैजेट नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) एजुकेशन ट्रस्ट को मिलने वाले फंड में कई तरह की अनियमितता है। इसमें विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) 2010 के नियमों की अनदेखी जा गई है।
अधिसूचना में कहा गया, ‘परिणामस्वरूप अब केन्द्र सरकार एफसीआरए 2010 की धारा 11 उपधारा तीन में निहित अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह स्पष्ट करती है कि आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट कानून की धारा 12 तथा इसके नियमों के तहत कोई भी विदेशी योगदान लेने से पहले केन्द्र सरकार से हर बार पूर्व अनुमति लेगी।’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह कदम तब उठाया गया है जबकि विभिन्न जांचों में पाया गया कि जाकिर नाइक एनजीओ के लिए आये धन का इस्तेमाल युवाओं को कथित रूप से कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रेरित करने में कर रहा था।