दिवाली को बीते एक सप्ताह हो चुका है, लेकिन दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल कम होने का नाम नहीं ले रहा है। टेंशन की बात यह है कि इस पॉल्यूशन ने कोहरे के साथ मिलकर पॉल्यूटेड धुंध का रूप ले लिया है। इस पॉल्यूटेड धुंध ने लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। खासकर ये संकट उन लोगों के लिए ज्यादा दुखदाई है, जो सांस, हार्ट और लंग्स की बीमारी से पीडि़त हैं।
दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल नार्मल से 15 गुना तक बढ़ गया है। रविवार को भी राजधानी 17 साल की सबसे घनी धुंध के आगोश में है। दूसरी तरफ, पॉल्यूशन से निपटने में नाकाम रहने पर सरकार के खिलाफ लोग जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में इमरजेंसी जैसे हालात हैं और नेताओं को हमारी बात सुनने का वक्त नहीं है।
दिल्ली में प्रदूषण इस हद तक बढ़ चुका है कि हवा की गुणवत्ता बिगड़ चुकी है। सुबह 10 बजे तक दिल्ली के आरके पुरम में हवा की गुणवत्ता 999, इंदिरा गांधी एयरपोर्ट में 436, पंजाबी बाग में 999 और शांति पथ में 662 रिकॉर्ड की गई।
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दरअसल, दिल्ली में लगातार चौथे दिन भी स्मॉग की स्थिति जस की तस है। बढ़ते प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली में प्रदूषण ने 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आप सुनकर सन्नाटे में आ जाएंगे कि दिल्ली वालों के फेफड़े 40 सिगरेट के बराबर धुआं रोज़ सोख रहे हैं। रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली सामान्य से 20 गुना ज्यादा प्रदूषित हो गई है। दिल्ली में हर चौथे बच्चे को फेफड़े की शिकायत है। जिससे अस्पतालों में 25 फीसदी तक मरीज़ बढ़ गए हैं। यही नहीं, सांस के मरीज़ों की संख्या 5 से 6 गुना बढ़ गई है।
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