छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में सोमवार को नक्सलियों के हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) के 25 जवान मारे गए और सात अन्य घायल हो गए। सात साल में हुए इस सबसे बड़े नक्सली हमले ने सरकार को हिलाकर रख दिया। पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमले की निंदा की और नक्सलियों को मुंह तोड़ जवाब देने का ऐलान किया। जहां पीएम मोदी ने कहा कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “हमने ये फ़ैसला किया है कि जो हमारी एलडब्ल्यूई (लेफ़्ट विंग एक्स्ट्रीमिज़्म) की स्ट्रैटेजी है, हम उसकी समीक्षा करेंगे और ज़रूरत हुई तो हम उसमें बदलाव भी करेंगे।”
अब लगता है बदलाव का वक्त आ चुका है। जी हां केंद्र सरकार जल्द ही नक्सल ऑपरेशनों के लिए फोलिएज पैनिट्रेटिंग रडार यानि ऐसा रडारयुक्त कैमरा जो घने जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी सुरक्षा बलों को दे सकेगा, ख़रीदने जा रही है। एनडीटीवी इंडिया की खबर के मुताबिक, ये रडार जल्द ही ऑपरेशंस में इस्तेमाल किए जाएंगे। इनके ज़रिए सुरक्षा बलों को घने जंगलों की तस्वीरें भी साफ़ तरह से दिखेंगी, जिसके चलते उन्हें नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशंस में मदद मिलेगी।
एक सीनियर अफ़सर ने एनडीटीवी को बताया कि “आतंकियों के खिलाफ इस तरह के रडार का इस्तेमाल पश्चिमी देशों में और इजरायल में काफी कामयाब रहा है।” बुधवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस बारे में जानकारी गृह मंत्री को भी दी। गुरुवार को सीआरपीएफ़ सुकमा हादसे की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपने जा रहा है।
कैसे काम करेगा ये रडार
- रडार को अलग-अलग लोकेशन पर फिट किया जाएगा।
- रडार को एक सेन्ट्रल मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा।
- रडार किसी भी मूवमेंट को पकड़ने के साथ ही उस जगह की इमेज और वीडियो बनाकर सीधा कंट्रोल रूम तक पहुंचाएगा।
- इस तकनीक के सहारे नक्सलियों की लोकेशन और संख्या के साथ-साथ उनके पास मौजूद हथियार और गोला-बारूद की जानकारी भी कंट्रोल रूम को देगा।
गौरतलब है कि लाल आंतक इस वक्त देश के लिए एक बड़ी परेशानी बन चुका है। और इस समस्या से निपटना सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। देखना होगा कि रड़ार के बाद सरकार नक्सलवाद को किस हद तक काबू कर पाती है।