J&K सुरक्षा के लिए धन जारी करना पूरी तरह केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में: SC

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में रहने वाले अलगाववादियों को सरकारी धन कथित रूप से जारी करने को असंवैधानिक एवं गैर कानूनी करार दिए जाने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका को बुधवार(14 सितंबर) को खारिज कर दिया, तथा कहा कि यह मुद्दा पूरी तरह से केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में है।

न्यायालय ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील को हुर्रियत कांफ्रेंस नेताओं को ‘‘अलगाववादी’’ कहने के लिए आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह अवधारणा का मामला है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘‘हमारी यह सुविचारित राय है कि जम्मू कश्मीर को सुरक्षा या अन्य के लिए धन देना पूरी तरह केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस तरह के मामलों में हमारा सुविचारित मत है कि जनहित वाद विचार योग्य नहीं है, इसलिए हम हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं हैं।’’

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उन्होंने कहा कि ‘‘इसके अलावा यह बताने की जरूरत नहीं है कि यह न्यायिक रूप से प्रबंधित कार्यवाही नहीं है तथा न्यायालय को इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए। इस कारण रिट याचिका को खारिज किया जा रहा है।’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति यू यू ललित भी शामिल हैं।

पीठ ने शर्मा के यह कहने पर अप्रसन्नता जताई कि, ‘‘राजनीतिक नेता आतंकवाद को प्रोत्साहन दे रहे हैं।’’ न्यायालय ने वकील को आगाह करते हुए कहा कि ‘‘आप न्यायालय में इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते। आप प्रत्येक पर इस तरह का तमगा नहीं लगा सकते जब तक कि कोई दोषी न हो। आप हर किसी को एक श्रेणी में नहीं ला सकते। न्यायालय में इस तरह की भाषा का उपयोग नहीं हो सकता।’’

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जनहित याचिका में दावा किया गया है कि अलगाववादियों के होटल में रूकने, उनकी सुरक्षा एवं अन्य खचोर्ं पर सरकार द्वारा 300 करोड़ रूपये से अधिक व्यय किये गये, जो धन का अपव्यय था। शर्मा ने दावा किया था कि यह मुद्दा समाज के लिए एक बड़ा खतरा है तथा केवल न्यायपालिका ही देश को बचा सकती है।

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इस पर शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में स्थिति को प्रबंधित करने की बात आए तो न्यायपालिका इस बात पर गौर नहीं कर सकती कि किसे कितना धन दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि ‘‘न्यायपालिका केवल संवैधानिक प्रावधानों एवं मूल्यों की रक्षा कर सकती है। किसी भी खतरे से निबटने के लिए सेना और पुलिस है। यह कार्यपालिका पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि देश के लिए क्या सर्वोत्तम है।’’