आज (गुरुवार) हाईकोर्ट ने दो राज्य सरकारों को तगड़ा झटका दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केजरीवाल सरकार को झटका देने के कुछ ही देर बाद गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को बड़ा झटका दिया है। पाटीदार आंदोलन के बाद आर्थिक आधार पर दिए गए आरक्षण को हाईकोर्ट ने गैरसंवैधानिक करार दिया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य में अगड़ी (सवर्ण) जाति के लोगों के लिए गुजरात सरकार द्वारा दिए गए 10 फीसदी आरक्षण को फिलहाल रद्द कर दिया है। यह फैसला गुजरात सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आर्थिक आधार पर आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया है।
कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार के इस फैसले से समान नागरिक अधिकार का हनन होता है, जबकि राज्य सरकार कि ओर से कहा गया था कि आरक्षण देते वक्त सरकार ने किसी भी तरह कि संवैधानिक आरक्षण के हक का हनन नहीं किया है। गौरतलब है कि आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में आंदोलन कर रहा पाटीदार समुदाय भी सामान्य वर्ग में आता है। सरकार पाटीदारों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया था। राष्ट्रद्रोह के आरोप में जेल काट चुके हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा था, जो बाद में हिंसक हो गया। आपको बता दे कि गुजरात में पहले से ही 50 फीसदी आरक्षण एससी, एसटी और ओबीसी को मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 50 फीसदी का आरक्षण तय किया है।