आइए जानते हैं उन फर्जी खबरों के बारे में जिसने आम लोगों के साथ साथ मीडिया को भी अपने लपेटे में लिया

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फर्जी खबर
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नई दिल्ली: साल 2016 अब अपने अंतिम पड़ाव में है। अपने अंतिम काल के गिने चुने दिनों को गिन गिन कर काट रहा है। यह साल बहुत सारे मुद्दों के लिए याद किया जाएगा। लेकिन इस साल जो सबसे ज्यादा हुआ है वो है ‘फर्जी खबर’। इस साल हर महीने कोई ना कोई फर्जी खबर सोशल मीडिया के जरिए वायरल हुआ या बल्कि यूं कहें कि वायरल करवाया गया। प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी की घोषणा के बाद से तो फर्जी खबरों का बाढ़ सा गया। कुल लोग ने इन खबरों के सहारे अपने आप को भी आगे बढ़ा लिया। ये फर्जी खबरे आम आदमी के साथ साथ मीडिया को भी अपने लपेटे में लिया और चैनलों और अकबारों ने भी इन खबरों को सच मानके खबर भी तला दिया। फर्जी खबरों का हाल ये है कि न्यूज चैनल इसके सच को लेकर एक कार्यक्रम ही चला रहा है।
इन खबरों की व्यापकता और प्रभाव इस कदर रहा कि यूनेस्को और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसी आधिकारिक संस्थाओं को इनके खंडन के लिए आगे आना पड़ा। यहां तक कि दुनिया की दो सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग और इंटरनेट कंपनियों फेसबुक और गूगल को इस तरह की फर्जी खबरों के कारण कानूनी दांवपेच का सामना भी करना पड़ा।

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आइए, नजर डालते हैं 2016 में इसी तरह की कुछ फर्जी खबरों पर, जिस पर देश की आम आबादी ने ही नहीं बल्कि कुछ शीर्ष मीडिया संस्थानों ने भी विश्वास कर लिया।

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आइए जानते हैं उन  खबरों के बारे में

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