श्रीनगर :जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने अर्द्धसैनिक बलों की ओर से पेलेट गन के इस्तेमाल पर सोमवार को केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दावे तो किए जा रहे हैं कि कानून का पालन कराने वाली इन एजेंसियों को ट्रेनिंग दी गई है, तो फिर इन पेलेट गन के कारण लोगों को घुटने से ऊपर और ज्यादातर लोगों को आंखों में चोट कैसे लगी है। कोर्ट की एक बेंच ने कहा, ‘आप भीड़ को नियंत्रित करने का दायित्व संभाल रहे हैं, लेकिन किसी भी सभ्य समाज में देखा जाता है कि आप भीड़ को कैसे संभालते हैं। ये लोग तो आपके अपने लोग हैं, ये बाहरी नहीं हैं। इनके साथ अपनों जैसा बर्ताव करें। आप इनके साथ अपनों जैसा बर्ताव नहीं कर रहे हैं।’
चीफ जस्टिस एन. पॉल वसंतकुमार और जस्टिस मुजफ्फर हुसैन अत्तर की बेंच ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार दावा करती है कि सीआरपीएफ के जवानों को पेलेट गन चलाने की ट्रेनिंग दी गई है, लेकिन सरकार ने यह नहीं बताया कि लोगों को घुटने के ऊपर और ज्यादातर मामलों में आंखों में चोट कैसे लगी है। बेंच ने देश के असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल से कहा, ‘आप यह नहीं बता रहे हैं कि घुटनों के ऊपर और ज्यादातर लोगों को आंखों में चोट कैसे लग गई। आप ट्रेनिंग के बारे में तमाम बातें कर रहे हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि लोगों को ऐसी चोट कैसे लगी।’
कोर्ट के सामने केंद्र ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात सीआरपीएफ के लोग अनुभवी हैं और दंगा-रोधी उपकरणों के संचालन में पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। हालांकि बेंच ने कहा कि सरकार कह रही है कि सीआरएपीएफ को प्रशिक्षण दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। कोर्ट ने कहा, ‘यह सब कागज पर लिखा हुआ है कि आप प्रशिक्षित हैं और आप यह गन चलाने लायक हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है क्योंकि राज्य सरकार ने पेलेट गन के इस्तेमाल के कारण लोगों के घायल होने की रिपोर्ट्स दी हैं।’
कोर्ट ने कहा कि पेलेट गन का इस्तेमाल कर सरकार खुद समस्या पैदा कर रही है और उसे इसके उपयोग पर गंभीरता से विचार कर निर्णय करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि भीड़ पर नियंत्रण के लिए सरकार को कोई दूसरा तरीका तलाशना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘आपके अपने होम मिनिस्टर ने इसके इस्तेमाल से बचने की बात की है। तो आप दूसरे तरीके क्यों नहीं ढूंढ सकते हैं।’ इस मामले में अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।