2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार के एजेंडों में से एक एजेंडा रेलवे की व्यवस्था को दुरस्त कर भारत में हाईस्पीड ट्रेन चलाने का भी था। आखिरकार ढाई साल बाद रेलवे ने इस प्रोजक्ट पर गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया है। मिशन रफ्तार के तहत यह टारगेट पूरा करने के लिए राजधानी दिल्ली में रेल भवन में रेलवे बोर्ड के आला अफसरों की एक उच्चस्तरीय मीटिंग हुई। इस बैठक में दिल्ली से कोलकाता और दिल्ली से मुंबई के बीच रेल लाइन को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए दुरुस्त करने के मामले में हर एक पहलू को लेकर बातचीत की गई।
ट्रेन के जरिये दिल्ली से हावड़ा अथवा मुंबई पहुंचने में आधा समय लगेगा। ऐसा इसलिए कि जो ट्रेनें अभी 80-100 किलोमीटर प्रति घंटा की औसत रफ्तार से चलती हैं वे 160-200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी।
इसके लिए रेलवे ने दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई रूटों के उच्चीकरण का काम शुरू कर दिया है। इसे 18 हजार करोड़ रुपये की लागत से 2020 तक पूरा करने का प्रस्ताव है।
अभी अधिकतम रफ्तार 130 किमी होने के बावजूद राजधानी, दूरंतो और शताब्दी ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटा की औसत स्पीड से चलती हैं। परिणामस्वरूप राजधानी के जरिये दिल्ली से मुंबई (1386 किमी) पहुंचने में 15ः50 घंटे, जबकि दिल्ली से हावड़ा (1450 किमी) पहुंचने में 16ः55 घंटे का समय लगता है।
रेलवे के अनुसार रेल नेटवर्क विकास के लिए यह बहुत बड़ा बदलाव होगा और रेल मार्गों को बेहतर करने के अलावा तेज रफ्तार एवं सुरक्षा सुनिश्चित के उद्देश्य से किसी तरह की घुसपैठ एवं मवेशियों की आवाजाही को रोकने के लिए बाड़ जरूरी है।