दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग भारत-चीन संबंधों को ‘सही दिशा’ में ले जाने के लिए और प्रतिरोध पैदा करने वाले संबंधों से बचने के लिए एक दूसरे की चिंताओं को समझने और उनके समायोजन की कोशिश करेंगे।
मोदी और शी ने कई मुद्दों पर मतभेद के बीच यहां चार सितंबर को जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।
चीन इस बैठक के बारे में क्या राय रखता है, इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने आज पीटीआई लिखित जवाब को बताया, ‘‘वे इससे सहमत हुए हैं कि चीन भारत संबंधों को सही दिशा में ले जाने के लिए कोशिश की जायेगी।’’ हुआ ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘दोनों देश एक दूसरे की चिंताओं को समझने और उनका समायोजन करने तथा द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य विकास में बाधाओं से बचने के लिए संवेदनशील मुद्दों को समुचित ढंग से निपटाने के लिए भी राजी हुए।’’ शी के साथ द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने 46 अरब डॉलर के चीन..पाकिस्तान आर्थिक गलियारा :सीपीईसी: पर भारत की चिंताओं को भी उठाया। सीपीईसी पाक के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरेगा।
मोदी ने शी से कहा कि टिकाउ संबंध और उनके सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए यह सबसे ज्यादा मायने रखता है कि हम एक दूसरे की आकांक्षाओं, चिंताओं और रणनीतिक हितों का सम्मान करें।
पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित कराने की भारत की कोशिश में चीन के तकनीकी अड़चन डालने से और सीपीईसी के विषय के अलावा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह :एनएसजी: की सदस्यता हासिल करने की भारत की कोशिश को बीजिंग द्वारा रोके जाने के परिप्रेक्ष्य में उनकी बैठक हुई।
हुआ ने बताया कि दोनों नेता रणनीति संचार बढ़ाने, दोनों देशों के बीच विकास रणनीतियों में तालमेल बिठाने, विभिन क्षेत्रों में आदान प्रदान और सहयोग बढ़ाने को राजी हुए ताकि चीन..भारत रणनीतिक सहयोग साझेदारी और आगे बढ़ सके। चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने शी के हवाले से बताया है, ‘‘चीन और भारत को बड़ी चिंताओं पर एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और ध्यान देना चाहिए तथा मतभेदों को रचनात्मक तरीके से दूर करना चाहिए।’’ मोदी.. शी बैठक पर टिप्पणी करते हुए चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेमपररी इंटरनेशनल रिलेशंस के निदेशक हु शिशेंग ने बताया कि भारत..चीन संबंध पाक से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर तनाव का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत..चीन संबंधों में पाकिस्तान एक दिखने वाला नकारात्मक कारण बन गया है। ‘‘यह अमेरिका और जापान के साथ भारत के तेजी से बढ़ते संबंधों के चलते भी हुआ होगा।’’