लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत जल्द ही दिल्ली के बाहरी इलाकों में विकास को गति मिलेगी, करीब 20 लाख फ्लैट तैयार हो सकेंगे। दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने राजधानी के 89 गांवों को शहरीकृत गांवों का दर्जा देने का आदेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही आपसी भागेदारी के जरिये किसानों अथवा डेवलपर के साथ मिलकर मकान बनाने की केंद्र सरकार की योजना का रास्ता भी अब पूरी तरह से साफ हो गया।
इस बाबत मंगलवार को दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। 89 गांवों की पुरानी आबादी के साथ-साथ पूरी राजस्व संपदा को शहरी घोषित कर दिया गया है।
लैंड पूलिंग पॉलिसी से निर्माण कार्य करने के लिए निगम से नक्शा पास कराने में कोई परेशानी नहीं होगी। सबसे बड़ा फायदा गांव के मूल निवासी जिनका अपना घर व जमीन है वह डीडीए की लैंड पूलिंग योजना के लिए अपनी जमीन डीडीए को बेच सकते हैं। शहरी विकास विभाग द्वारा जारी इस अधिसूचना से डीडीए की लैंड पूलिंग योजना को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। उपराज्यपाल के इस पहल से राजधानी में आने वाले समय में मकान की कमी दूर हो जाएगी और माना जा रहा है कि बड़े पैमाने में भवन निर्माण शुरू होंगे।
बुधवार को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट-1957 के सेक्शन-507 के तहत 89 गांवों का ग्रामीण क्षेत्र का दर्जा खत्म करते हुए इन्हें शहरी क्षेत्र घोषित कर दिया है। इस कदम से इन क्षेत्रों के कृषि उद्देश्यों के लिए ही इस्तेमाल की विवशता खत्म हो गई है और अब इन्हें रियल एस्टेट के लिए डिवेलप किया जा सकता है।
दिल्ली सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि यह सिर्फ पहला चरण है और इसके लिए नोटिफिकेशन पर मंत्री के साइन की जरूरत भी नहीं थी। स्कीम के लिए अभी सेक्शन-12 के तहत दिल्ली सरकार की एक और औपचारिक मंजूरी चाहिए होगी। एक अधिकारी ने बताया कि एलजी ने इस बारे में दिल्ली सरकार से कोई संवाद नहीं किया था और इससे केंद्र और राज्य के बीच फिर सियासी घमासान छिड़ सकता है।