पूर्वी दिल्ली : हंगरी में सरकार की स्कॉलरशिप पर अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे 29 साल के देवेश सिंह के लिए हेयर ट्रांसप्लांट (बाल प्रत्यारोपण) करना दु:स्वप्न साबित हुआ। हेयर ट्रांसप्लांट के साथ ही उनके शरीर में कई बदलाव होने लगे। चेहरा सूजने लगा और मानसिक रूप से भी बीमार हो गए। देवेश को आरएमएल अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। एक महीने बाद आइसीयू से छुट्टी तो मिली, लेकिन छह महीने बाद भी वह मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सके हैं। इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ पहले पुलिस और फिर बाद में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) को शिकायत की गई।
एमसीआइ ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) को जांच के बाद आरोपी डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। देवेश परिवार के साथ वेस्ट करावल नगर में रहते हैं। पिता जय नारायण आरएमएल अस्पताल में थेरेपिस्ट पद से सेवानिवृत हुए हैं।
2014 में नोएडा स्थित सीडैक कॉलेज से एमबीए करने के बाद देवेश का चयन स्कालरशिप के लिए हो गया। जनवरी में वह हंगरी से लौटे। यहां देवेश ने हेयर ट्रांसप्लांट के लिए इंटरनेट पर एक विज्ञापन देखा, जिसमें राजेंद्र प्लेस, पूसा रोड पर क्लीनिक चलाने वाले डॉ. शरद मिश्र का पता चला। डॉ. शरद ने खुद को ट्रांसप्लांट के मामले में देश के शीर्ष दस डॉक्टरों में दिखाया था। देवेश से उनकी एक लाख रुपये में हेयर ट्रांसप्लांट की बात तय हुई। छह जनवरी को पिता के साथ देवेश डॉ. शरद के क्लीनिक पर पहुंचे। डॉ. शरद ने बताया कि उन्होंने हजारों लोगों का हेयर ट्रांसप्लांट किया है।
देवेश के पिता जय नारायण ने बताया कि डॉक्टर जब देवेश को ऑपरेशन थियेटर में ले जा रहा था तो उन्होंने पूछा था कि ऑपरेशन से पहले की जांचें नहीं हुई हैं। इस पर डॉक्टर ने कहा कि किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं है। शाम 5 बजे हेयर ट्रांसप्लांट कराने के बाद देवेश अपने पिता के साथ घर लौट गए। अगली सुबह वह जोर-जोर से चिल्लाने लगे। अपना सिर दीवार पर मारने लगे। परिजन उन्हें लेकर डॉ. शरद के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने देवेश को देखने के बाद हाथ खड़े कर दिए। दूसरे अस्पताल में रेफर करने से भी इन्कार कर दिया। हालत गंभीर होने पर पिता तुरंत उन्हें आरएमएल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां ट्रामा सेंटर में उन्हें भर्ती किया गया।