दिल्ली: साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट विशेष जांच दल (एटीएस) की जांच पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। अगस्त महीने में निलंबित एटीएस अफ़सर मेहबूब मुज़्ज़वर ने सोलापुर कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके कहा था कि दो आरोपी, रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे, जिन्हें फ़रार बताया जा रहा है, वे मारे जा चुके हैं।
एनडीटीवी के अनुसार शपथ पत्र में लिखा गया कि इन आरोपियों का एनकाउंटर किया गया और बाद में 26/11 मुंबई हमलों के वक़्त इनकी लाशों को ठिकाने लगा दिया।
रामचंद्र कालसांगरा की पत्नी, बेटा और भाई पिछले 8 सालों से उसका इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन अब उम्मीद अब टूट रही है। मुज़्ज़्वर के हलफनामे के बाद अब वे चाहते हैं कि मामले की जांच की जाए।
एटीएस द्वारा गिरफ़्तार किए गए कुछ और लोग सामने आए। उन्होंने एटीएस पर उन्हें जानबूझ कर फंसाने के आरोप लगाए। उनका कहना है कि उन्हें प्रताड़ित करके जबरन उन्हें झूठे बयान देने के लिए मजबूर किया गया।