दूध में मिलावट करने वालों को अब होगी उम्रकैद, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश

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देश की सर्वोच्च अदालत अब मिलावट खोरों के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार कर रही है। मिलावटखोरों पर अब जल्द ही गाज गिरने वाली है और इस फेहरिस्त में सबसे पहला नंबर है दूध में मिलावट करने वालों का। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने बड़े पैमाने पर दूध में मिलावट से होने वाले खतरे पर ध्यान देते हुए इसके लिए उम्र कैद की सजा का समर्थन किया है। फिलहाल दूध में मिलावट करने वालों को छह महीने जेल की सजा या जुर्माने का प्रावधान है।

जीफ जस्टिस टी. एस. ठाकुर, जस्टिस आर. भानुमती और यू. यू. ललित की एक बेंच ने कहा कि दूध में मिलावट और सिंथेटिक दूध की समस्या से निपटना जरूरी हो गया है। इससे बच्चों की ग्रोथ पर फर्क पड़ता है और अगली पीढ़ी की बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित होती है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मौजूदा नरम कानूनों को बदलकर दूध में मिलावट करने वालों को उम्र कैद की सजा का प्रावधान करने का आदेश दिया है।

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आज तक की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि भारत सरकार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 में जरूरी बदलाव करे। केंद्र और राज्य सरकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं-

– सुप्रीम कोर्ट ने मिलावट को गंभीर मुद्दा बताते हुए निर्देश दिए हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें ‘फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006’ को लागू करने के लिए असरदार कदम उठाए।

– राज्य सरकारें डेयरी मालिक, डेयरी आपरेटरों और विक्रेताओं को सूचना दें कि अगर दूध में कीटनाशक और कास्टिक सोडा जैसे केमिकल पाए गए तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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राज्य की फूड सेफ्टी अथॉरिटी अपने क्षेत्र में मिलावट के लिए हाई रिस्क इलाकों का पता करें और त्योहारों की मौके पर ऐसी जगहों से ज्यादा से ज्यादा दूध के सैंपल लिए जाएं।

– राज्य की फूड सेफ्टी अथॉरिटी यह सुनिश्चित करें कि इलाके में पर्याप्त संख्या में मान्यता प्राप्त लैब हों. राज्य और जिला स्तर पर लैब पूरी तरह संसाधनों से लैस हों और टेक्निकल लोग और टेस्ट की सुविधा हो. राज्य की फूड सेफ्टी अथॉरिटी और जिला अथॉरिटी दूध और दूध से बने उत्पादों के टेस्ट के लिए कारगर उपाय करें और औचक निरीक्षण के लिए मोबाइल टेस्ट वैन भी मौजूद हों।

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– राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर दूध में मिलावट रोकने के लिए वक्त-वक्त पर स्नैप शार्ट सर्वे किए जाएं. दूध में मिलावट को रोकने के लिए महाराष्ट्र की तरह चीफ सेक्रेट्री या डेयरी विकास सेक्रेट्री की अगुवाई में और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अगुवाई में कमेटी का गठन किया जाए।

– राज्य में मिलावट संबंधी जानकारी और शिकायत के लिए वेबसाइट हो और टोल-फ्री नंबर भी बनाया जाए. साथ ही लोगों को अफसरों के नाम और नंबर भी मुहैया कराए जाएं. राज्य मिलावट को लेकर जागरुकता अभियान चलाएं और स्कूलों में भी वर्कशाप कर मिलावट का पता लगाने के तरीके बताएं. केंद्र और राज्य खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार और दूसरे गलत तरीकों का पता लगाने के लिए व्यवस्था की जाए।