दिल्ली:
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दक्षिण चीन सागर के पुराने विवाद को आज एक क्षेत्रीय सम्मेलन में फिर से उठाया और एजेंडा में शामिल कराया जहां यह स्पष्ट हो गया है कि लाओस की राजधानी में एकत्रित अन्य अधिकतर नेता संसाधन संपन्न जलक्षेत्र में चीन के क्षेत्रीय विस्तार को लेकर उसकी आलोचना कर सकते हैं।
ओबामा ने 10 सदस्यीय आसियान के नेताओं के साथ सम्मेलन में अपने वक्तव्य की शुरूआत में कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम करते रहेंगे कि दक्षिण चीन सागर के मुद्दे समेत विवादों का निवारण शांतिपूर्ण तरीके से हो।’’ उन्होंने कहा कि चीन के खिलाफ 12 जुलाई को दी गयी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण की व्यवस्था ‘बाध्यकारी’ है और इससे क्षेत्र में समुद्री अधिकारों को स्पष्ट करने में मदद मिली।
आसियान चीन और अमेरिका समेत दुनिया की अन्य महाशक्तियों के साथ गुरूवार को बाद में एक अलग सम्मेलन का आयोजन करेगा। आज जारी होने वाले संयुक्त बयान के मसौदा के अनुसार सम्मेलन में चीन को दक्षिण चीन सागर में उसकी विस्तार गतिविधियों को लेकर मामूली रूप से कोसा जा सकता है।
समुद्र क्षेत्र में चीन की गतिविधियों को लेकर अमेरिका बार बार चिंता जता चुका है। ओबामा ने आज इसे फिर उठाया।
चीन के दावों को खारिज करने वाले मध्यस्थता पंचाट की व्यवस्था का जिक्र करते हुए ओबामा ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं यह तनाव बढ़ाता है। लेकिन मुझे इस बात पर भी चर्चा की अपेक्षा है कि हम किस तरह से तनाव को कम करने और कूटनीति एवं स्थिरता को बढ़ाने की दिशा में रचनात्मक रूप से एकसाथ आगे बढ़ सकते हैं।’’ सम्मेलन के वक्तव्य के मसौदे के अनुसार आसियान और उसके साझेदार देशों ने दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाये रखने का महत्व दोहराया।
मसौदे के अनुसार, ‘‘कई नेता दक्षिण चीन सागर में हालिया घटनाक्रमों को लेकर गंभीर बने हुए हैं। हमने संबंधित पक्षों द्वारा शांतिपूर्ण तरीकों से उनके विवाद के निवारण के महत्व पर जोर दिया जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सर्वमान्य सिद्धांतों के अनुरूप हों।’’