दरअसल बात एक साल पुरानी है, जब साल का दूसरा ही दिन था कि पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत को नए साल के तोहफे के तौर पर ऐसी सौगात दी,जिसे आने वाले नस्लें भी भुला नहीं पाएंगी। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला कर उसे अपने कब्जे में लेने की नापाक कोशिश की। ये हमला जितना खौफनाक था उससे कहीं ज्यादा शर्मनाक भी था। पठानकोट हमले के बाद से ही भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव चला आ रहा था। 2 जनवरी की सुबह 6 पाकिस्तानी आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। इसमें 7 जवान शहीद हो गए थे। 36 घंटे एनकाउंटर और तीन दिन कॉम्बिंग ऑपरेशन चला था। हमले का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अजहर था। अजहर को 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक केस में पैसेंजरों की रिहाई के बदले छोड़ा गया था।
इस बीच, भारत-पाक फॉरेन सेक्रेटरी लेवल की 15 जनवरी 2016 को जो बातचीत होनी थी, नहीं हुई। 28 मार्च को पाकिस्तान के पांच मेंबर्स वाली इन्वेस्टिगेशन टीम भी पठानकोट आई थी। इसके बाद जुलाई में आतंकी बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद भी पाकिस्तान ने घाटी में हिंसा भड़काने का काम किया था। सितंबर में हुए उड़ी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ गई थी। इसके बाद भारत ने पीओके में आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक्स भी किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान बौखला गया था। सार्क सम्मेलन में भी भारत और कई सदस्य देश इस्लामाबाद नहीं पहुंचे थे।
अब पाकिस्तान भारत का न्योता ठुकराकर खुद को पाक साफ साबित करने और भारत से सार्क में शामिल ना होने का बदला लेने की कोशिश में लगा है।