साल 2016 की दूसरी ही सुबह देश के सबसे सुरक्षित स्थानों में शामिल सामरिक महत्ता वाले पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के रूप में ऐसे जख्म दे गई जो पूरा साल बीतने के बाद भी हरे ही महसूस हो रहे हैं। पिछले साल 2 जनवरी को तड़के सुबह 3:30 बजे पंजाब के पठानकोट में पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर भारी मात्रा में असलहा बारूद से लैस आतंकियों ने हमला किया था। इस दिल-दहला देने वाले आतंकी हमले के जख्म आज भी हरे हैं।
इस आतंकी मुठभेड़ में 7 जवान शहीद हो गए थे और 37 लोग घायल हो गए थे। देश के लिये प्राणों की आहुति देने वालों में लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन पी कुमार (केरल) , सूबेदार फतेह सिह (गुरदासपुर), हवलदार कुलवंत सिह (गुरदासपुर), कांस्टेबल जगदीश सिंह (हिमाचल प्रदेश), कांस्टेबल संजीवन कुमार (सिहुआं), कांस्टेबल गुरसेवक सिह (हरियाणा), तथा मूलराज (जम्मू-कश्मीर) शामिल है।
हालांकि सभी हमलावर आतंकी भी मारे गए थे। लेकिन इस हमले के एक साल बाद भी यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि हमारा देश पाक प्रायोजित आतंकवाद से अपना बचाव करने में सक्षम है। पठानकोट हमले के बाद भी जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमले हुए, जिनमें हमारे देश के कई रणबांकुरे शहीद हो गए। यही नहीं इस आतंकी हमले के मुख्य सूत्रधार अब भी पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं और उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस तरह पठानकोट हमला भारत के सीने पर एक ऐसा जख्म है जो अभी तक नहीं भर पाया है।
पाकिस्तान को घेरने के लिए भी भारत ने कई दांव चले, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सहयोग नहीं मिल पाया। यही कारण रहा कि हमले की जांच कर रही एनआइए ने 11 महीने बाद चार्जशीट पेश की। चार्जशीट में एनआइए ने अदालत को पुख्ता सुबूत सौंपे हैं।
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