वीकेंड स्पेशल – ‘नमामि गंगे परियोजना’ का रिएलिटी टेस्ट, पढ़िए क्या है पूरी हकीकत

0
एनजीटी
फाइल फोटो

मोदी सरकार के बनने के बाद सबसे पहले और सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली योजनाओं और फैसलों में एक थी गंगा की सफाई पर बनाई गई परियोजना। दो साल लग गए मोदी के उस बहुचर्चित योजना को जमीन पर उतारने में और बीते 7 जुलाई को देश भर में गंगा के घाटों से नमामि गंगे परियोजना की विधिवत शुरुआत कर दी गई। 20 हजार करोड़ के शुरूआती बजट से शुरू की गई परियोजना की शुरुआत भी खूब धूमधाम से की गई। लेकिन कागजों से शुरू हुई इस बहुचर्चित योजना के सामने काफी चुनौतियां हैं।

1

भारत की नदियों और ख़ास कर गंगा से आम भारतीय का पुरातनकाल से भावनात्मक लगाव रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने नमामि गंगे परियोजना से मैली होती जा रही। गंगा के पौराणिक स्वरूप को लौटाने की एक महत्वकांक्षी परियोजना की शुरूआत की गई है। लम्बी तैयारियों के बाद सरकार के दो साल पूरा होने के बाद 07 जुलाई को देश भर में गंगा के घाटों पर नमामि गंगे की शुरुआत की गई। हाजीपुर और सोनपुर में भी गंगा के घाटों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इसे भी पढ़िए :  नीतीश ने की मोदी की तरीफ़ कहा ‘उनमें क्षमता है इसीलिए पीएम बनें, मुझमें क्षमता नहीं’

2

हाजीपुर में केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान तो सोनपुर में राजीव प्रताप रूढ़ि ने एक साथ गंगा के घाटों पर इस योजना का शुभारम्भ किया। लेकिन भव्य आयोजनों से शुरू इस योजना के शुरुआत के महज हफ्ते भर में ही इस इस महत्वकांक्षी योजना की सफलता पर सवाल शुद्ध गंगाजल की पैकेजे के सरकार के फैसले पर जहां विपक्ष कई सवाल खड़े कर रहा है वही गंगा के घाटों की जमीनी हकीकत बेहद परेशान करने वाली तस्वीर पेश कर रही है। हाजीपुर में जिस जगह महज 07 दिन पहले केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने नमामि गंगे की शुरुआत की थी उससे महज चंद कदमो की दूरी पर दिन के उजाले में घरों से निकलने वाला मैला सीधे गंगा में डाला जा रहा है।

इसे भी पढ़िए :  केजरीवाल ने किया दावा, नोटबंदी के बाद 10 फीसद तक बढ़ गया भ्रष्टाचार

3

टैंकरों से भरा शौचालय का मैला सीधे गंगा में डालने की तस्वीर बता रही है कि गंगा को साफ़ करने के दावों के सामने किस तरह की चुनौती है। टैंकरों में भरे मैले को जब हमारे कैमरे ने कैद किया तो टैंकर मालिक और ड्राइवर गाडी छोड़फरार होने लगे। फिर कैमरे की नजर से बचने के लिए के लिए आनन फानन में गाडी लेकर भागने लगे। इस बिच जब ठेकेदार से नदी में सीधे मैला डालने की वजह जननी चाही तो जनाब हर पैंतरा आजमाने लगे।

4

तस्वीरें गंगा की सफाई के हवाई दावों की हवा निकलने के लिए काफी है। लेकिन इसके पीछे की विडंबना को भी समझना भी जरूरी है। दरअसल हजारो कड़ोर के इस परियोजना के लिए जमीनी तैयारिओं को नजरअंदाज किया गया। घाटों के निर्माण और सौंदर्यकरन जैसे कामो के लिए तो लाखो कड़ोरो खर्च का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया लेकिन आम अवाम तक गंगा के प्रति जागरूकता फैलाने या गंगा की सफाई की इस योजना में लोगो की सहभागिता बनाने तक कोई कोशिश नहीं की गई है। इसको लेकर खुद केंद्रीय मंत्री राजिव प्रताप रूढ़ि ने भी नमामि गंगे की शुरुआत के वक्त सवाल उठाया था।

इसे भी पढ़िए :  गंगा सफाई के लिए 2154 करोड़ की 26 योगनाओं को मंजूरी, यूपी को 7000 करोड़ रुपये देगा केंद्र

5

गौरतलब है कि जिस दिन नाममि गंगे परियोजना की शुरुआत हरिद्वार से की गई। उस दिन केन्द्रिय मंत्री उमा भारती ने कहा था कि गंगा को मैली करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन विडंबना देखिए कि गंगा को मैली करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.. और सरकार ने इस तऱफ अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।