शुक्रवार को ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, बैंकिंग, परिवहन सेवाओं पर होगा असर

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। सरकार की भरपूर कोशिशों के बावजूद ट्रेड यूनियनों ने 2 सितंबर(शुक्रवार) को हड़ताल करने का जो फैसला लिया था वो वापस नहीं लिया। लिहाजा शुक्रवार को ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और टेलीकॉंम जैसी जरूरी सेवाएं पर असर देखा जा सकता है।

आल इंडिया ट्रेड यूनियंस कांग्रेस और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस जैसे संगठनों ने हड़ताल नहीं करने की सरकार की ओर से अपील को ठुकरा दिया है। इन संगठनों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने अपनी मांगों पर सरकार के रवैये तथा श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलावों के विरोध में हड़ताल बुलाई है।

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यूनियनों का दावा है कि इस साल की हड़ताल अधिक व्यापक होगी, क्योंकि हड़ताल में शामिल कर्मचारियों की संख्या 18 करोड़ पर पहुंच जाएगी। पिछले साल हड़ताल में 14 करोड़ श्रमिक शामिल हुए थे। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने उनकी 12 सूत्रीय मांगों पर सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है।

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उनकी प्रमुख मांगों में न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये करने, महंगाई पर काबू पाना तथा 3,000 रुपये की निश्चित न्यूनतम मासिक पेंशन की मांग शामिल हैं। ट्रेड यूनियन संयोजन समिति (टीयूसीसी) के महासचिव एस पी तिवारी ने कहा कि ‘इस बार हड़ताल अधिक बड़ी होगी। औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के करीब 18 करोड़ श्रमिक सरकार के उदासीन रवैये के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे।’

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उन्होंने कहा कि हड़ताल से बंदरगाह और नागर विमानन सहित आवश्यक सेवाएं मसलन परिवहन, दूरसंचार और बैंकिंग बुरी तरह प्रभावित होंगे। अस्पतालों और बिजली संयंत्रों के कर्मचारी भी हड़ताल पर जाएंगे, लेकिन इससे वहां सामान्य कामकाज प्रभावित नहीं होगा।