नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार(1 सितंबर) को कहा कि किराये की कोख (सरोगेसी) का वाणिज्यिक स्वरूप दो अरब डालर का अवैध धंधा और कमजोर महिलाओं के शोषण का साधन बन गया है, जिसपर रोक लगाते हुए उसने (सरकार ने) भारत में महिलाओं को ‘बच्चे पैदा करने वाली फैक्ट्री’ नहीं बनने देने की ठान ली है।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि किराये की कोख का वाणिज्यिक स्वरूप बच्चों के शोषण का भी साधन बन गया है, खासकर तब जब उन्हें (लावारिस) छोड़ दिया जाता है।
पटेल ने एनडीटीवी से कहा कि ‘‘हम कहना चाहते हैं कि किराये का कोख अंतिम विकल्प है और हम किराये की कोख के वाणिज्यिक स्वरूप को बढ़ावा नहीं देने जा रहे।’’ उन्होंने किराये की कोख (विनियमन) अधिनियम, 2016 का भी जिक्र किया।