कश्मीर के पत्थरबाजों पर पैलेट गन चलेगी या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा बड़ा फैसला

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पैलेट गन

सुप्रीम कोर्ट आज कश्‍मीर में पैलेट गन के इस्‍तेमाल के खिलाफ जम्‍मू एंड कश्‍मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (जेकेएचसीबीए) की याचिका पर सुनवाई करेगा। इससे पहले 28 अप्रैल को कोर्ट ने जेकेएचसीबीए से विभिन्न शेयरधारकों और लोगों से इस याचिका पर उनके विचार लेने के लिए कहा था। एसोसिएशन के नेताओं से उन लोगों के नाम भी पेश करने को कहा था, जो केंद्र से राज्य के मौजूदा हालात के बारे में बात कर सकते हैं।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जेकेएचसीबीए से यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि अगर वो पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में पत्थरबाजी बिल्कुल नहीं होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से राज्य में पत्थरबाजी रोकने के लिए पैलेट गन के अलावा कोई और उपयुक्त कदम उठाने की बात भी कही थी, क्योंकि यह जीवन और मृत्यु से जुड़ा मामला है।

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कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन पहले ही पैलेट गन के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा चुका है। यह केस उस वक्त दायर किया गया था, जब पिछले साल कश्मीर घाटी में चल रही अशांति के दौरान कई लोगों की जान चली गई थी।

दरअसल जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भी सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारियों में 9,11, 13, 15 और 17 साल के बच्चे और नौजवान क्यों शामिल हैं?

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रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी लोगों में 40-50-60 साल के लोग नहीं हैं खासकर 95 फीसदी जख्मी छात्र हैं। इससे पता लगता है कि बडी उम्र 28 साल हैं। कोर्ट ने कहा था कि  कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं। हम एक गंभीर मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं वहीं केंद्र ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प पर तौर पर किया जा रहा है किसी को मारना सुरक्षा बलों का उद्देश्य नहीं है। कल कश्मीर में उपचुनाव के दौरान बडे पैमाने पर हिंसा हुईये कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं है जिनपर आसानी से काबू पा लिया जाए।

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प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया SOP बनाया गया है। वो पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है। लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है  कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं। सुरक्षा बल जब फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं। जो केंद्र ने हालात बताए वो सही नहीं हैं। कश्मीर में नागरिकों से युद्ध के हालात नहीं होने चाहिए।