टैल्गो ट्रेन का ट्रायल हुआ सफल: 11 घंटे 48 मिनट में पहुंची दिल्ली से मुंबई

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दिल्ली:

टैल्गो ट्रेन का दिल्ली से मुंबई का ट्रायल सफल हुआ। दिल्ली से मुंबई, 1384 किलोमीटर के सफर को ट्रेन ने 11 घंटे 48 मिनट में पूरा कर लिया। इस बार ट्रेन को 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया गया। पिछले ट्रायल में ट्रेन निर्धारित गति पकड़ने में सफल नहीं हो पाई थी और 50 मिनट की देरी से पहुंची थी।

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स्पेनिश टैल्गो ट्रेन को शनिवार दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया। टैल्गो ट्रेन में 9 डिब्बे हैं। स्पेन में बनी इस ट्रेन की खासियत यह है कि इसे ढाई सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जा सकता है। रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इतनी स्पीड से, तो यह ट्रेन यहां नहीं चल सकेगी, लेकिन इसकी औसत स्पीड 160 से 180 घंटे प्रतिकिलोमीटर के बीच रखा जाएगा। हाई स्पीड पर ट्रायल कराने के लिए टेल्गो ट्रेन अपने ही इंजन से चलेगी। यह ट्रायल तेज रफ्तार में मुंबई और दिल्ली के बीच में होगा। यदि भारतीय इंजन को लेकर ट्रेन को खींचा तो इन दोनों ट्रायल के दौरान ट्रेन हाई स्पीड में होने के कारण कई व्यावहारिक और तकनीकी दिक्कतें भी हो सकती हैं। इसीलिए टैल्गो ट्रेन का स्पेन से इंजन मंगाया जा रहा है।

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टेल्गो ट्रेन में नौ कोच लगाए गए हैं। इनमें दो कोच प्रथम श्रेणी के हैं। प्रत्येक में 18-18 यात्री सीट हैं। द्वितीय श्रेणी के चार कोच में से प्रत्येक में 36-36 सीट लगी हैं। इसके साथ एक कोच में पैंट्री कार, एक जनरेटर रूम और एक अंतिम कोच गार्ड रूम है। टेल्गो की तकनीकी टीम का मानना है कि ट्रेन को दौड़ाने के समय हाइड्रोलिक सिस्टम से कोच को डेढ़ फीट ऊंचा करने में दिक्कत आती है। हालांकि ट्रेन संचालन के समय कोच स्वत: ही ऊंचे हो जाते हैं। प्लेटफार्म पर यह कोच स्वत: ही नीचे हो जाते हैं। भारतीय इंजन सामान्य है जबकि टेल्गो का इंजन पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड है। वह सेंसर के माध्यम से यह भी संकेत देता है कि जिस ट्रैक पर वह दौड़ रहा है, इसके आगे का ट्रैक कैसा है। उसी आधार पर ड्राइवर ट्रैक पर ट्रेन की स्पीड को कम और अधिक करते हैं।

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टैल्गो ट्रेन का इंटीरियर डिजाइन काफी शानदार है। भारतीय कोचों में पहियों के बीच कमानी और सामान्य शॉकर होते हैं, जबकि टैल्गो कोच में शॉकर में हाइड्रॉलिक पावर होने के कारण तेज स्पीड में भी न तो झटके लगते हैं, न वाइब्रेशन होता है।डिस्क ब्रेक होने से तुरंत रोकने पर भी ट्रेन बिना झटके के रुक जाती है।दोनों सीटों के बीच लेग स्पेस भारतीय ट्रेनों की तुलना में तीन इंच ज्यादा है। 4 सीटों के बीच में एक एलईडी टीवी लगी है। सुनने के लिए हर सीट पर ईयरफोन प्लग है। हाईस्पीड टैल्गो ट्रेन को किसी कर्व पर दूसरी ट्रेनों की तरह रफ्तार कम करने की जरूरत नहीं होगी।

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अब तक की भारत की सबसे तेज गति की ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस और अगस्त क्रांति राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली-मुंबई के बीच 16 घंटे में दूरी तय करती है। राजधानी की औसत गति 89.76 किमी प्रति घंटा होती है। टेल्गो 106.52 की औसत गति से चलेगी। राजधानी ट्रेन मुंबई पहुंचने में 750 मिनट लगाती है टेल्गो 632 मिनट में पहुंचेगी।