हाल ही में पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इसमें 19 नए चेहरों को जगह मिली। 6 मंत्रियों की गद्दी छिनी और प्रकाश जावड़ेकर का प्रमोशन हुआ। प्रकाश जावड़ेकर को राज्यमंत्री से हटाकर मानव संसाधन मंत्री बना दिया गया। इस फेरबदल में सबसे बड़ा झटका लगा पूर्व मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को।
ये बात सच है कि जब से स्मृति को मंत्रालय मिला था तब से ही उनके खिलाफ आवाज़ उठनी शुरू हो गई थी। विपक्षियों ने उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय दिए जाने को लेकर तमाम सवाल खड़े किए लेकिन मोदी का फैसला जस का तस रहा। स्मृति लगातार 20 महीने तक मंत्रालय की गद्दी पर काबिज़ रहीं। लेकिन कहते हैं कि जब बुरा वक्त आता है तो हालात भी ऐसे ही बन जाते हैं। ना जाने स्मृति को कौन सा गुमान था कि वो इस कद को पचा ना पाईं और कुछ ऐसा करती रहीं कि खुद अपनी ही पार्टी के नेताओं की आंखों में खटकने लगीं। पीएम की सबसे चहेती मानी जाने वाली स्मृति शायद भूल गई कि उनकी कामकाज और व्यवहार की रिपोर्ट पीएम मोदी तक भी जाएगी।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि स्मृति का अड़ियल रवैया ही उनके तबादले की मुख्य वजह बना। सूत्रों ने बताया कि स्मृति ईरानी के मंत्रालय में फेरबदल की सबसे बड़ी वजह उनके कार्यकाल में होने वाले लगातार विवाद और उनसे निपटने के तौर-तरीकों की वजह से हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सूत्र ने बताया, ‘वह सख्त थीं और विवादों को उत्पन्न कर देती थीं…और जब भी वह मुश्किल में पड़ती थीं तो पार्टी की लाइन का सहारा लेती थीं या विचारधारा का राग अलापने लगती थीं, इससे पार्टी और सरकार को उनके बचाव में उतरना पड़ता और आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता था।