जब दो देशों के बीच लड़ाई छिड़ती है तो बाकी देशों पर उसका क्या असर होता है। किस तरह बाहरी देशों के राजनीतिक हालात बदलते हैं इसका जिक्र किया गया है ब्रिटेन की एक सरकारी रिपोर्ट में। दरअसल साल 2003 में छेड़े गये इराक युद्ध के मामले में जांच करने वाली समिति को पेश किये गये सबूतों के मुताबिक ब्रिटेन को 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की आशंका थी और उसने दोनों देशों को सैन्य टकराव को समाप्त करने के लिए समझाने और मनाने का प्रयास किया था। इराक युद्ध पर आधारिक जांच रिपोर्ट बुधवार को सार्वजनिक की गयी है, इस रिपोर्ट में इन तमाम बातों का खुलासा किया गया है।
इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने वाले ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री जैक स्ट्रॉ ने शिलकॉट जांच आयोग के सामने गवाही के दौरान कई बड़े खुलासे किए। उन्होंने बताया कि 2003 में इराक युद्ध दोषपूर्ण खुफिया जानकारी पर आधारित था। स्ट्रॉ के पूरे खुलासे में सबसे अहम बात ये रही जो उन्होंने भारत और पाकिस्तान को लेकर कही। स्ट्रॉ ने साल 2001 के बड़े मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि वो वक्त बेहद संजीदा था जब पल-पल उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की चिंता सता रही थी।
सट्रॉ ने बताया कि साल के आखिर में 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव की आशंका बढ़ गई थी और युद्ध के खतरे से ब्रिटेन और अमेरिका दोनों चितिंत थे। उन्होंने कहा, इतने गंभीर क्षेत्रीय टकराव को रोकने का अमेरिका-ब्रिटेन का संयुक्त प्रयास उस बहुत करीबी संबंध की बुनियाद बना था जो मैंने अमेरिका के विदेश मंत्री जनरल कॉलिन पॉवेल के साथ विकसित किये थे। उन्होंने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध के हालात बन चुके थे। लेकिन इस विनाश को रोकने के लिए उन्होंने भारत औऱ पाकिस्तान को समझाने का हर मुमकिन प्रयास किया।