दिल्ली:
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने आज कहा कि चीन को अंतराष्ट्रीय मामलों में भारत से सिखने की जरूरत है। केरी ने दक्षिण चीन सागर के मामले पर ये बातें आज कही। दक्षिण चीन सागर की समस्या का कोई सैन्य समाधान नहीं होने का तर्क देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने आज चीन और फिलीपीन से इस विवाद पर एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण की हालिया व्यवस्था का पालन करने को कहा है।
केरी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करने में बहुत उर्जा खर्च की गयी है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
बांग्लादेश और भारत के बीच समुद्री सीमा विवाद के समाधान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणों के आदेशों का पालन करना भारत से सीख सकती है।
उन्होंने आईआईटी दिल्ली में कहा, ‘‘बांग्लादेश के साथ समुद्री सीमा के संबंध में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को स्वीकार करने का भारत का फैसला वास्तव में अलग है। इन विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है जिनमें दक्षिण चीन सागर विवाद शामिल है।’’ कैरी ने कहा कि देशों को शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों का समाधान करना चाहिए और ऐसी गतिविधियों को संचालित करने में संयम बरतना चाहिए जो विवादों को और जटिल कर दें या गहरा दें।
हेग की मध्यस्थता अदालत के फैसले के बावजूद दक्षिण चीन सागर में चीन अपने रख पर अड़ा है। मध्यस्थता अदालत ने कहा था कि चीन को दक्षिण चीन सागर पर कोई ऐतिहासिक अधिकार नहीं है।
केरी ने कहा, ‘‘अमेरिका लगातार चीन और फिलीपीन से न्यायाधिकरण के हालिया फैसले का पालन करने का आह्वान कर रहा है जो अंतिम है और दोनों पक्षों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी है।’’ दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा करता है। ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपीन, ताईवान और वियतनाम ने चीन के दावे को चुनौती दी है।
केरी ने प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि अमेरिका ऐसे क्षेत्रीय विवादों के समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करता है जिनका कोई सैन्य समाधान नहीं होता।
उन्होंने कहा, ‘‘हम विवाद की लपटों को और नहीं बढ़ने देने के भी पक्षधर हैं लेकिन पक्षों को कानूनी प्रक्रिया और कूटनीति के माध्यम से विवादों और दावों के समाधान के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।’’