दिल्ली:
भारत ने आज कहा कि भारत-चीन के बीच आतंकवाद और एनएसजी जैसी समस्याएं नहीं होनी चाहिए। विदेश सचिव जयशंकर से भारत चीन रिश्ते पर बोलते हुए कहा कि जाने पहचाने आतंकवादियों एवं संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के अलावा असैन्य परमाणु उर्जा के क्षेत्र में सहयोग एवं निवेश तक पहुंच जैसे विकास संबंधी मुद्दे चीन जैसे ‘‘सहयोगी’’ के साथ भिन्नता के बिंदु बनकर नहीं उभरने चाहिए।
विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि चीन से भारत के हितों का ध्यान रखने की उम्मीद जाती है, खासकर तब जब उनका चीन के हितों से टकराव नहीं है। उन्होंने साथ ही कहा कि एशिया और विश्व के भविष्य के लिए जरूरी है कि दोनों देश सामरिक परिपक्वता के साथ एक दूसरे से संपर्क करें।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत उम्मीद करता है कि चीन जैसा सहयोगी उसके हितों को ध्यान में रखेगा खासकर तब जब वे चीन के हितों से नहीं टकराते।’’ विदेश सचिव ने यहां एक सम्मेलन में कहा, ‘‘आतंकवाद से मुकाबला इसमें आता है और जाने पहचाने आतंकवादियों एवं संगठनों पर प्रतिबंध लगाना भिन्नता का मुद्दा नहीं होना चाहिए। ना हीं विकास से जुड़े मुद्दों पर आपत्ति होनी चाहिए जैसे कि असैन्य परमाणु उर्जा के क्षेत्र में सहयोग एवं निवेश तक भारत की अनुमानित पहुंच।’’ वह चीन द्वारा पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को अलकायदा या इस्लामिक स्टेट से संबद्ध समूहों की संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डलवाने की भारत की कोशिश को नाकाम करने और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत का प्रवेश रोकने की तरफ इशारा कर रहे थे।
































































