भारत-चीन के बीच आतंकवाद और एनएसजी जैसी समस्याएं नहीं होनी चाहिए: विदेश सचिव

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

जयशंकर ने भारत और चीन के ‘‘संबंधों के जटिल’’ होने की बात मानते हुए कहा कि संबंधों के सहयोगपूर्ण एवं सम्मिलित पक्ष की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। इसका एक कारण दोनों के कंधों पर इस खास संबंध के इतिहास का भार होना है।

इसे भी पढ़िए :  पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल एक हथियार की तरह करता है: विदेश सचिव

विदेश सचिव ने कहा कि इनमें से कुछ कारण संबंधों की विशाल क्षमता और क्षेत्रीय एवं वैश्विक राजनीति पर उसकी दिशा का संभावित असर है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दशकों में हमारे संबंधों का रिपोर्ट कार्ड कल्पनाओं से ज्यादा मजबूत है।’’ जयशंकर ने कहा कि सीमित संपर्क एवं सामग्री की स्थिति से भारत-चीन के संबंध आज असामान्यता की स्थिति से बाहर निकल चुके हैं और इसके लिए दोनों देशों की क्रमिक सरकारों को श्रेय दिया जाना चाहिए जिन्होंने बातचीत में गतिरोध के जारी रहने के बावजूद सीमा पर शांति सुनिश्चित की है।

इसे भी पढ़िए :  मतभेदों के बावजूद भारत और चीन के बीच का संबंध और होगा मजबूत :चीन

उन्होंने कहा, ‘‘संप्रभुता से संबंधित मुद्दों सहित मुश्किल समस्याओं को दरकिनार नहीं किया गया है।’’ विदेश सचिव ने कहा कि विकास से जुड़े मुद्दों को लेकर वैश्विक मंचों पर साथ काम करने की दोनों देशों की क्षमता भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।

इसे भी पढ़िए :  10 मिनट में देखिए पिछले 24 घंटे का पूरा घटनाक्रम और आज की एक्सक्लूसिव खबरें, GOOD MORNING COBRAPOST
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse