दिल्ली, सरकार भले ही नोटबंदी पर कितनी ही बातें कर लें लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सरकार ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त नकदी है, जो 30 दिसंबर के बाद भी उपलब्ध रहेगी। लेकिन क्या नोटबंदी के ऐलान वाले दिन यानी 8 नवंबर को भी हालात ऐसे ही थे? हकीकत में उस दिन नए नोटों का अनुपात रद्द किए गए नोटों की तुलना में एक-चौथाई से कम यानी सिर्फ 24.11% ही था। यही नहीं सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक उस दिन आरबीआई के पास 500 का एक भी नया नोट नहीं था।
मोदी सरकार हमेशा से यह दावा करती आई है कि ‘नोटबंदी का फैसला पूरी तैयारी के साथ लिया गया था। नोटबंदी की घोषणा के बाद एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ, जिस दिन आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से पर्याप्त धन की आपूर्ति न की हो’। लेकिन अब जो आंकड़े आए हैं उन्हें देखकर लगता है कि नोटबंदी के दौरान बैंक और एटीएम के बाहर लंबी कतार का जिम्मेदार रिजर्व बैंक और सरकार दोनों है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 8 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के पास 10, 20, 50, 100, 500 और 1000 रुपए के कुल 23,93,753.39 करोड़ के नोट उपलब्ध थे, जिसमें 500 रुपये का एक भी नया नोट रिजर्व बैंक में मौजूद नहीं था।