यूपीए शासनकाल में बाद के कुछ महीनों में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बीच के मनमुटाव किसी से छिपे नहीं हैं। सब जानते हैं कि दोनों के बीच किसी बात को ये लेकर कुछ-न-कुछ कड़वाहट जरूर थी लेकिन ये नाराज़गी क्यों हुई थी इसका किसी को बता नहीं था। अब एक अंग्रेजी अखबार ने इस खुलासे का दावा किया है। दरअसल दावा है कि इन दोनों नेताओं के बीच सबसे बड़ी नाराजगी एनएसी को लेकर हुई थी। सोनिया यूपीए सरकार में वोटबैंक की नीतियां लागू कराना चाहतीं थीं, जबकि मनमोहन ऐसा नहीं चाहते थे। यही नहीं सोनिया की मंजूरी के बगैर मनमोहन किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करते थे। यह खुलासा हुआ है राष्ट्रीय सलाहकार परिषद(एनएसी) की कुछ फाइलों से। एक अंग्रेजी अखबार ने यह खुलासा किया है।
मनमोहन के सुधारों पर नहीं था सोनिया को भरोसा
अखबार ने एनएसी की फाइलों से खुलासा किया है कि मनमोहन के आर्थिक सुधारों पर सोनिया को भरोसा नहीं था और एनएसी मनमोहन की नीतियों की समीक्षा करती थीं। साथ ही हर फाइल पर सोनिया की नजर रहती थी और आगे की नीतियां तय करती थीं। प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भरोसा नहीं करती थीं। दरअसल, वह मनमोहन के कांग्रेस का एजेंडा लागू नहीं करने से नाखुश थीं। सोनिया मनमोहन से वोट बैंक की नीतियों को लागू करवाना चाहती थीं। ऐसे कई हैरान करने वाले दावे एक अंग्रेजी अखबार ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की फाइलों के हवाले किए हैं।
वोटबैंक वाली नीतियों लागू कराना चाहतीं थीं सोनिया
अंग्रेजी अखबार ने दावा किया है कि यूपीए शासन में एनएससी नीतियां बनाती थी और प्रभावित करती थी। मनमोहन के कई नीतियों को लागू करने के तरीके से भी एनएसी नाखुश थी। दरअसल, एनएसी वोट बैंक वाली नीतियों को लागू करवाना चाहती थी। एनएसी यूपीए सरकार में पीएमओ से ज्यादा ताकतवर थीं। सोनिया सूचना के अधिकार में सभी सूचना देने के पक्ष में नहीं थीं।
इंडिया संवाद के सौजन्य से खबर
































































