तिरूपति मंदिर को तीन साल में 140 करोड़ का घाटा, नुकसान की वजह बना लड्डू

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तिरूपति

देश के विभिन्न हिस्सों से तिरुपति मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के बीच तिरूपति लड्डुओं की भारी मांग है। साल 2016 में मंदिर की ओर से करीब 10 करोड़ लड्डुओं का वितरण किया गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान वेंकटेश्वर के पर्वतीय मंदिर को पिछले तीन वर्षों में प्रसिद्ध ‘तिरूपति लड्डू’ के कारण 140 करोड़ रूपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। ऐसा लड्डू के रियायती दर और कुछ श्रद्धालुओं को इसे मुफ्त में बांटने के कारण हुआ।

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मंदिर के सूत्रों ने बताया कि तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) पिछले 11 वर्ष से 25 रूपये प्रति लड्डू की रियायती दर से यह स्वादिष्ट मिठाई बेचता है जबकि इसकी वास्तविक लागत 32.50 रूपये प्रति लड्डू है।

रियायती दर पर लड्डू बेचने से तो भार पड़ता ही है। साथ ही निशुल्क दर्शन करने वाले और कई घंटों तक कतारों में प्रतीक्षा करने वाले श्रद्धालुओं को प्रति लड्डू दस रूपये की दर से दिया जाता है, जिससे करीब 23 करोड़ रूपये का घाटा हुआ। इसके अलावा करीब 11 किलोमीटर पैदल चलकर आने वाले श्रद्धालुओं को एक-एक लड्डू मुफ्त में दिया जाता है, जिससे सालाना 22.7 करोड़ रूपये का घाटा हो रहा है।

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यह योजना अक्‍टूबर 2013 में शुरू की गई थी ताकि लोग पैदल पवित्र पहाड़ी पर जाने की परंपरा को जिंदा रखें। इसके बाद से सालाना 70 लाख श्रद्धालु पहाड़ी चढ़कर मंदिर जाते हैं। दर्शन के लिए 300 रुपये देने वाले और वीआर्इपी दर्शन के लिए 500 रुपये देने वाले लगभग 70 लाख लोगों को दो लड्डू फ्री दिए जाते हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है मंदिर प्रशासन लड्डू की कीमत नहीं बढ़ाएगा। हालांकि फ्री लड्डुओं की संख्‍या को कम किया जा सकता है। बता दें कि प्रसाद के रूप में लड्डू का उपयोग 100 साल पहले ब्रिटिश राज के दौरान शुरू हुआ था।

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