ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था तथा इसी दिन प्रथम शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। शिव भक्त पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा, अर्चना और स्तवन करते हैं। भारत के अलग अलग प्रदेशों में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों पर इस दिन हजारों भक्त जलाभिषेक कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। महाशिवरात्रि, शिवजी का सबसे महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
ऐसा विश्वास है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं और उपासक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी की भौहों से रूद्ररूप में शिवजी का अवतरण हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव ने तांडव नृत्य करते हुए अपनी तीसरी नेत्र से सृष्टि का संहार किया था। इसीलिए इस दिन को महाकालरात्रि भी कहा जाता है।