आज महाशिवरात्रि है। वैसे तो हर महीने ही शिवरात्रि आती है, लेकिन फाल्गुन मास की शिवरात्रि खास होती है और इसे महाशिवरात्रि कहते हैं। आज का दिन शिव भक्तों के लिए बहुत अहम है। आज सभी शिवालय और मंदिर के कपाट खुल गए हैं, मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। शुक्रवार को सुबह साढ़े चार बजे से ही मंदिरों के कपाट खुल गए हैं। दिल्ली के गौरीशंकर मंदिर, धनबाद के देवघर, काशी और यूपी के कई मंदिरों में शिव भक्तों का शैलाब उमड़ने लगा है। भगवान भोले का रुद्राभिषेक देर रात तक चलता रहेगा। ज्योतिषों की मानें तो इस बार महाशिवरात्रि पर भक्तों के लिए शुभ संयोग बन रहा है, जिससे भगवान शिव का पूजन विशेष फलदायी होगा।
मंदिरों में सुबह से ही हर हर महादेव के नारे गूंज रहे हैं। भक्त गंगा जल और दूध से भोले शंकर का जलाभिषेक कर रहे हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिव की पवित्र पिंडी को दूध,जल और शहद से स्नान कराकर फूलों और बेलपत्रों से सजाया गया है। मेरठ के औघड़नाथ मंदिर में भी भक्तों का भारी तांता लगा है और हर तरफ भोले की महिमा गूंज रही है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्री वर्ष के अंत में आती है इसलिए इस दिन पूरे वर्ष में हुई गलतियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है और आने वाले वर्ष में उन्नति एवं सदगुणों के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।
‘ॐ नमः शिवाय:’ पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जाप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें। सदा सब पर अनुग्रह करने वाले भगवान शिव का बारंबार स्मरण करते हुए पूर्वाभिमुख होकर पंचक्षरी मंत्र का जाप करें।
शिव भक्त जितना भगवान शिव के पंचक्षरी मंत्र का जाप कर लेता है उतना ही उसके अंतकरण की शुद्धि होती है और वह अपने अंतःकरण में स्थित अव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान के रूप में विराजमान भगवान शिव के समीप होता जाता है। उसकी दरिद्रता, रोग, दुख, शत्रुजनित पीड़ा और कष्टों का अंत हो जाता है और उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है।
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