परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को जल्द से जल्द प्रभाव में लाया जाए: बान की मून

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बान की मून

 

दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने परमाणु हथियारों की वजह से पर्यावरण और मानव के अस्तिव पर मंडरा रहे खतरों के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि देशों को समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को जल्द से जल्द लागू करने की अपील की है।

महासचिव ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु परीक्षण प्रतिबंध दिवस पर अपने संदेश में कहा, ‘‘इस अंतरराष्ट्रीय परमाणु परीक्षण प्रतिबंध दिवस पर मैं विश्व से इस मुद्दे पर खतरनाक गतिरोध की समाप्ति की सख्त आवश्यकता के लिए एकजुटता की भावना अपनाने का आह्वान करता हूं।’’ मून ने अफसोस जताया कि महासभा द्वारा 20 साल पहले इसे अंगीकार किए जाने के बाद भी यह संधि अभीतक लागू नहीं हुआ है।

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सीटीबीटी एक बहुपक्षीय संधि है। जो हर तरह के माहौलों में, सभी परमाणु विस्फोटों, चाहे वे नागरिक उद्देश्य के लिए हों या सैन्य उद्देश्य के लिए, पर रोक लगाती है। इसे 10 सितंबर, 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकार किया गया था लेकिन अबतक यह लागू नहीं हुआ है। क्योंकि आठ खास देशों ने इसे अबतक अनुमोदित नहीं किया है।

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उन्होंने कहा, ‘‘परमाणु हथियारों से हमारे सामूहिक मानव एवं पर्यावरण सुरक्षा, यहां तक कि हमारे अपने अस्तित्व पर मंडरा रहे त्रासदीपूर्ण जोखिम को देखते हुए हमें इस गतिरोध को दूर करना चाहिए।’’ पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने यह कहते हुए भारत, पाकिस्तान, चीन और अमेरिका से सीटीबीटी को अनुमोदित करने का आह्वान किया था कि इस संधि को लागू होना आवश्यक है। फिलहाल 183 देशों में से 164 इस पर मुहर लगा चुके हैं।

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इस संधि के प्रभाव में आने के लिए अनुसूची दो के देशों का अनुमोदन आवश्यक है। उनमें चीन, उत्तर कोरिया, मिस्र, भारत, ईरान, इस्रायल, पाकिस्तान और अमेरिका ने इसे अबतक अनुमोदित नहीं किया है।