मरीजों को जबरदस्ती एंटीबायोटिक्स देने वाले डॉक्टरों की अब खैर नहीं, सरकार ने उठाया ये ठोस कदम

0
2 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse

क्यों खतरनाक है एंटीबायोटिक

एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार दुरुपयोग से इंसान की रोगप्रतिरोधक क्षमता तेजी से घट रही है। साधारण बैक्टीरियल इंफेक्शन भी अब सामान्य दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है। एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस और एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस धीरे-धीरे इंसान को सूक्ष्मजीवियों के आगे लाचार बना रहा है।

एंटीबायोटिक की भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अमरीका जैसे विकसित देश में हर साल कम से कम 23,000 लोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट (प्रतिरोधक क्षमता) इन्फेक्शन के कारण मौत की नींद सो जाते हैं। भारत में तो हालात भयावह हैं। आधे से अधिक लोग दवाओं का नकारात्मक पक्ष नहीं समझते। बिना परामर्श के एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं।

इसे भी पढ़िए :  नाबालिग रेप पीड़िता को बनना पड़ेगा बिन ब्याही मां, मेडिकल बोर्ड ने नहीं दी अबॉर्शन की इजाजत

अगर आपको पता लगे कि आप किस हद तक एंटीबायोटिक दवाओं की चपेट में फंस चुके हैं, तो सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे क्योंकि ये आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं।

भारत में एंटीबायोटिक की अंधाधुंध खपत – 

– 11 एंटीबायोटिक गोलियां औसत हर भारतीय खाता है साल भर में।

– 416 लोगों की मौत होती है संक्रामक बीमारी से भारत में प्रति लाख आबादी पर।

– 02 गुना है यह अमरीका में होने वाली मौतों से।

– 2010 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा एंटीबायोटिक उपभोक्ता देश था।

इसे भी पढ़िए :  पति ने किया पत्नी के साथ घोर अन्याय, जानकर चौंक जाएंगे आप

– 12.9 अरब यूनिट एंटीबायोटिक इस्तेमाल की गई 2010 में।

– 7 एंटीबायोटिक गोलियां खाता था हर भारतीय 2010 में।

सुनकर चौकिए मत…सच्चाई यही है जो आंकड़े बयां कर रहे हैं। अब आगे बढ़ते हैं और आपको एक और सच्चाई से रू-ब-रू कराते हैं। सरकार ने एंटीबायोटिक्स के बेजा इस्तेमाल कर लगाम कसने की कई बार कोशिश की, नीतियां निर्धारित की गई लेकिन असर दिखाई नहीं दिया। या यूं कहे कि अपने मुनाफे के लिए डॉक्टर एंटिबायोटिक्स के इस्तेमाल को कम करने के लिए राजी नहीं हुए।

इसे भी पढ़िए :  VVIP हस्तियों की हवाई यात्रा को लेकर...CAG ने की एयर इंडिया की खिंचाई, पढ़िए क्यों ?

नीति बनाई, पर हो गई फेल

– 2011 में केंद्र सरकार ने बढ़ते एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को देखते हुए राष्ट्रीय नीति बनाई।

– एंटीबायोटिक के दुरुपयोग से जन्मी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने की सरकार की ओर से कोशिशें शुरू हुईं। लेकिन यह नीति सफल नहीं हो पाई। रिजिस्टेंस के कई और रूप निकलकर सामने आए।

– 2016 के मार्च में आए एक रिसर्च पेपर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को ग्लोबल स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी चुनौती बताया गया।

अगले स्लाइड में पढ़ें – एंटिबायोटिक्स की पूरी कहानी, कहां से आई और कैसे बन गई ‘जान की दुश्मन’ ?

2 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse