रियो ओलंपिक से लौटकर घर जा रही भारतीय महिला हॉकी टीम के चार खिलाडि़यों को ट्रेन में सीट नहीं मिलने पर फर्श पर बैठकर यात्रा करने का मामला सामने आया है। घटना सामने आने के बाद महिला संगठनों ने विरोध जताते हुए खेल मंत्री विजय गोयल से मांग की है कि वे रेलवे अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कराएं। हालांकि रेलवे ने इस घटना से इनकार किया है। जानकारी के अनुसार हॉकी खिलाड़ी दीप ग्रेस इक्का, नमिता टोपो, सुनीता लाकड़ा और लिलिमा मिंज को ट्रेन में फर्श पर ही बैठना पड़ा। इनकी टिकटें कंफर्म नहीं हो पाई थी। ये चारों रेलवे की कर्मचारी भी हैं। इनके पास रेलवे द्वारा जारी किया गया यात्रा पास भी था, पर टीटीई इनके लिए सीट की व्यवस्था नहीं कर सके।
महिला कार्यकर्ता निर्मला सांवत ने कहा कि यह शर्मनाक घटना है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु को तुरंत कार्रवाई करनी चाएि जिससे कि किसी अन्य खिलाड़ी के साथ इस तरह का अन्याय न हो। एक अन्य कार्यकर्ता बृंदा अडिगे ने बताया कि बाबू लोग फर्स्ट क्लास में सफर करते हैं जबकि खिलाडि़यों को फर्श पर बैठाया जाता है। ऐसे अधिकारियों को ट्रेन से क्यों नहीं फेंका जाता? खिलाडि़यों के लिए फंड जारी किए गए होंगे। लेकिन अधिकारी मानते हैं कि खिलाड़ी उनके गुलाम हैं। उन्होंने अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग की।
रेलवे की ओर से इस मामले में सफाई दी गई है। इसमें कहा गया कि फर्श पर बैठने की बात गलत है। रेलवे ने ट्वीट कर बताया, ”रांची एयरपोर्ट पहुंचने के बाद हॉकी खिलाड़ी बिना जानकारी दिए ट्रेन में सवार हो गए। टीटीई ने उन्हें सीट देने के लिए 20 मिनट लिए। हॉकी खिलाडि़यों को कोई शिकायत नहीं है। वे अपने परिवार से मिलने की जल्दबाजी में थीं, इसलिए सफर के कार्यक्रम में बदलाव किया। खिलाडि़यों के फर्श पर बैठने की बात झूठी है।”