देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताए जा रहे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स- GST से जुड़े चार विधेयकों पर जारी चर्चा के दौरान कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी ने जीएसटी लागू करने में देर करके भारत को 10 करोड़ रूपये का चुना लगाया है। कांग्रेस ने विरप्पा ने मोदी सरकार पर आरोप लगते हुए कहा है कि यूपीए सरकार इसे अप्रैल 2010 में ही लागू करना चाहती थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरी जीएसटी और कॉम्पेंसेशन जीएसटी बिलों को एक साथ सदन के पटल पर रखा था।
बुधवार को लोकसभा में जीएसटी पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अभी तक कुछ टैक्स लगाने के अधिकार केंद्र और कुछ राज्यों के पास थे। लेकिन अब पूरे देश में एक ही टैक्स प्रणाली होगी। इसके आने से संसद और विधानसभाओं के पास गुड्स और सर्विसेज पर टैक्स लगाने का अधिकार होगा। जीएसटी काउंसिल में 32 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। जेटली ने कहा कि संविधान संशोधन के तहत जीएसटी के तहत पहले पांच साल में अगर किसी राज्य को कोई घाटा होगा तो उसके लिए भी व्यवस्था की जाएगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी लागू करने से शुरुआती 5 वर्षों तक जिन राज्यों को नुकसान होगा, उनकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। इस व्यवस्था की जानकारी देते हुए जेटली ने कहा, “अभी लग्जरी सामानों पर टैक्स की दर 40 से 65 प्रतिशत तक है। जीएसटी में हम ऐसे सामानों पर 28 प्रतिशत का टैक्स लेंगे। इसके बाद का हिस्से से एक बफर स्टॉक बनेगा जिससे उन राज्यों की मदद की जाएगी, जिन्हें जीएसटी से नुकसान होगा। इसके बाद भी फंड बच जाएगा तो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इसका बंटवारा हो जाएगा।” जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत ही राज्यों के नुकसान की भरपाई का इंतजाम कर जनता को टैक्स के अतिरिक्त बोझ से बचा लिया गया।
विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने जीएसटी पर कई सवाल खड़े किए और इसके गेमजेंचर होने के सरकार के दावे को खारिज कर दिया। मोइली ने कहा कि यह कोई गेमचेंजर नहीं, बल्कि बहुत छोटा कदम है। उन्होंने इस बात को भी जोर-शोर से उठाया कि जब उनकी सरकार जीएसटी पर आगे बढ़ना चाह रही थी, तो तब विपक्ष में बैठी बीजेपी ने अड़ंगा लगा दिया। मोइली ने पूछा, “अब जब जीएसटी को 6 साल बाद लागू किया जा रहा है, तो इस दौरान हुए नुकसान की जिम्मेदारी किसकी है?’ मोइली ने आगे कहा, ‘जीएसटी नहीं लागू होने की वजह से सालाना 1 से 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस तरह अब तक देश को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।”
गौरतलब है कि GST की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में हुई थी। जब उन्होंने 1999 में अपने आर्थिक सलाहकारों के साथ बुलाई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की थी। इन सलाहकारों में आरबीआई के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल, बिमल जालान और सी. रंगराजन शामिल थे। अब लोकसभा में चार विधेयकों के पेश होते ही यह बिल अपने अंतिम चरण में है। 17 साल पहले एनडीए की सरकार से हुई इसके सफर की शुरुआत अब एनडीए की सरकार में ही खत्म होने जा रही है।
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