भारत सरकार इंडियन एयर फोर्स के लिए 200 लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रही है। मगर इसके लिए एक शर्त रखी है कि वह भारत में निर्माण और भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करे।
इंडियन एयरफोर्स अधिकारियों ने बताया कि 200 सिंगल इंजन विमानों की जरुरत है। यह संख्या 300 तक पहुंच सकती है क्योंकि एयरफोर्स सोवियत जमाने के लड़ाकू विमानों को बेड़े से बाहर करने की तैयारी कर रही है। इन विमानों की पूर्ति के लिए विमान खरीदने पर 13-15 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा। जानकारों का कहना है कि यह सबसे बड़ा सैन्य सौदा हो सकता है। भारत की फ्रांस से 36 राफेल विमान लेने की डील हुई है। इसके बाद एयरफोर्स ने अन्य अधिग्रहणों पर जोर दिया है। एयरफोर्स के पास वर्तमान में जरूरी क्षमता के केवल एक तिहाई विमान ही है।
पीएम नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि अब सैन्य विमान भारत में ही बने हुए हो। इसमें भारतीय कंपनी भी साझेदार हो। इससे घरेलू एयरक्राफ्ट उद्योग और निर्यात को मदद मिले। अमेरिकी लड़ाकू विमान निर्माता कहीड मार्टिन कंपनी भारत में एफ-16 विमानों की निर्माण यूनिट लगाने में रूचि दिखा रही है। उसका कहना है कि वह ना केवल भारत बल्कि निर्यात के लिए भी काम करेगी। स्वीडन की साब ने भी अपने ग्रिपेन एयरक्राफ्ट की निर्माण यूनिट लगाने का प्रस्ताव दिया है।
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