Use your ← → (arrow) keys to browse
7 -स्वयं सहायता समूह, को-ऑपरेटिव बैंक
छोटे दुकानदारों से रोज-रोज 10, 20, 50 या 100 रुपये जमा करने वाले माइक्रो फाइनैंस एजेंट्स ने भी स्वयं सहायता समूहों के अकाउंट्स में पैसे डालकर इसकी हेराफेरी की। इसी तरह, कुछ को-ऑपरेटिव बैंकों ने भी काले धन को सफेद करने के लिए पिछली तारीख से जमा दिखा दिया जिनके पास कंप्यूटराइज्ड रिकॉर्ड नहीं हैं। इसीलिए, रिजर्व बैंक ने को-ऑपरेटिव बैंकों को पुराने नोट बदलने का अधिकार नहीं दिया।
कैसे किया?
माइक्रो फाइनैंस एजेंट्स ने दुकानदारों ने नए नोट लिए। हालांकि, उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के अकाउंट्स में पुराने नोट डाले और काले धन को सफेद कर करने में मदद की।
उदाहरण
कम-से-कम 5,000 स्वयं सहायता समूह और एजेंट जांच के घेरे में हैं।
(खबर इनपुट नवभारत टाइम्स)
Use your ← → (arrow) keys to browse































































