भारतीय सेना को मिला है एक ऐसा हथियार जिसके सामने टिक नहीं पाएंगे आतंकी

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माइक्रोवेव रेडिएशन ढूंढ लेता है आतंकियों को
इस रेडार के माइक्रोवेव रेडिएशन की मदद से दीवारों या कंक्रीट के अवरोधों के पीछे छिपे आतंकियों का पता लगाया जा सकता है। DRDO की इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड रेडार डिवेलपमेंट एस्टैबलिस्मेंट (LRDE) भी हाथ से इस्तेमाल होने वाले इस तरह के रेडार पर काम कर रही है। इस प्रॉजेक्ट की शुरुआत 2008 में मुंबई आतंकी हमलों के बाद हुई थी। 26/11 के हमले के दौरान ताज महल होटल के कमरों में छिपे आतंकियों की तलाश के दौरान कमांडोज पर हमले किए गए थे।

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LRDE ने दो तरह के रेडार डिवेलप किए थे। एक हाथ से इस्तेमाल होने वाले और दूसरे ट्राइपॉड की मदद से चलाए जाने वाले। इसे ‘दिव्यचक्षु प्रॉजेक्ट’ के तहत विकसित किया गया। ये रेडार माइक्रोवेव रेडिएशन पर काम करते हैं। ये दीवारों की स्कैनिंग कर सकते हैं।इन तरंगों की मदद से मनुष्य के शरीर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों में छोटे बदलावों का भी पता चल जाता है। रेडार पर उभरने वाले संकेत सेना को छुपे हुए आतंकवादियों की जगह और उनकी गतिविधियों का तुरंत पता बता देते हैं।

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