टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी वाई श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने की खबर आते ही सोशल मीडिया पर इसके पक्ष और विपक्ष में टिप्पणयिां आनी शुरू हो गईं। अर्नब को सुरक्षा दिए जाने के विरोधी सरकारी खर्च पर उन्हें सुरक्षा दिए जाने का विरोध कर रहे थे तो समर्थक उनकी जान को खतरे की खबरों के मद्देनजर इसे जायज बता रहे थे। लेकिन साल 2012 में अर्नब गोस्वामी ने टीवी पर देश के वीवीआईपी संस्कृति पर एक सीरीज की थी। उस सीरीज के एक शो में अर्नब ने वीवीआईपी सुरक्षा और उससे आम लोगों को होने वाली दिक्कत पर बहस की थी। उस बहस में अर्नब के अलावा देश के पूर्व सॉलीसिटर जनरल सोली सोराबजी और दिल्ली के पूर्व ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मैक्सवेल परेरा शामिल हुए थे।
शो में अर्नब ने कहा था कि ये “ऊपर के” लोगों को तय करना होगा कि वीवीआईपी कल्चर की वजह से स्कूल जाते हुए बच्चों, दफ्तर जाने वालों, डॉक्टरों और अन्य आम लोगों को दिक्कत न हो। अर्नब ने तब दलील दी थी कि आम लोगों को बड़ी तकलीफ से बचाने के लिए वीवीआईपी को थोड़ी दिक्कत सह लेनी चाहिए। अर्नब ने शो में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का उदाहरण दिया था जिन्होंने अपने पूर्ववर्ती पीएम टोनी ब्लेयर की तरह भारी-भरकम सुरक्षा बंदोबस्त इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया था। अर्नब ने अपने शो में वीवीआईपी सुरक्षा को ताकत या अमीरी का प्रदर्शन और शानो-शौकत दिखाने का तरीका भी कहा था।
खबरों के अनुसार अर्नब की सुरक्षा में 24 घंटे दो पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर सहित 20 सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे। वहीं उनके घर और दफ्तर में चार-चार पुलिस गार्ड तैनात किए जाएंगे। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अर्नब सुनिश्चित करेंगे कि उनकी सुरक्षा से आम आदमी को दिक्कत नहीं होगी? साथ ही उन्हें ध्यान रखना होगा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनको सुरक्षा देने के औचित्य पर भी सवाल उठा रहे हैं।
आपको बता दें कि अर्नब पहले पत्रकार नहीं होंगे, जिन्हें केंद्र की ओर से सुरक्षा दी जाएगी। इससे पहले जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी को एक्स कैटेगरी के तहत, समाचार प्लस के उमेश कुमार को वाई कैटेगरी के तहत और पंजाब केसरी के अश्विनी चोपड़ा को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। चोपड़ा लोकसभा सांसद हैं और तीन दशक पहले उनके पिता और दादा की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद उन्हें यह सुरक्षा दी गई थी।
































































