नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े बीजेपी नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के कथित ट्वीट पर विवाद हो गया है। इसमें जेटली ने नेताजी को उनके पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी है। वहीं, नेताजी के रिश्तेदारों ने जेटली से माफी की मांग की है। बता दें कि नेताजी के घरवालों समेत बहुत सारे लोगों को इस बात पर यकीन है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइवान में हुए विमान हादसे में नहीं हुई थी और वे उसके काफी बाद तक जीवित रहे थे। जेटली के इस ट्वीट को इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है कि क्या एनडीए सरकार यह मानती है कि नेताजी का निधन उसी हवाई हादसे में हो गया था? खास बात यह है कि जेटली पर नाराज लोगों में नेताजी के परपोते चंद्र बोस भी हैं। उन्हें हाल ही में बीजेपी में शामिल किया गया था। वे बीजेपी के टिकट पर ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव में खड़े हुए थे।
विवाद होने के बाद जेटली ने अपना ट्वीट संभवत: डीलीट कर दिया है , क्योंकि ये ट्वीट अब टाइमलाइन पर कहीं नजर नहीं आ रहा है लेकिन उसका स्क्रीनशॉट खूब शेयर किया जा रहा है। इस ट्वीट के मुताबिक, जेटली ने लिखा, “Netaji Subhas Chandra Bose was an icon of exemplary valour and sacrifice. We remember and pay him our respectful tribute on his death anniversary.” प्रतिक्रिया देने वालों में ममता बनर्जी सबसे आगे रहीं। बंगाल की सीएम ने टि्वटर पर लिखा, “आज रक्षाबंधन है और मैं आज किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती। हालांकि, अरुण जेटली जी के नेताजी पर किए गए ट्वीट से हैरान हूं। हम सभी को ठेस पहुंची है।” वहीं, नेताजी की रिश्तेदार चित्रा बोस ने कहा कि उनका परिवार इस टिप्पणी से हैरान है।
Today is Raksha Bandhan I don’t want to hurt anybody. But shocked with @arunjaitley Ji hurtful tweet this morning on Netaji.We’re all hurt
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 18, 2016
नेताजी की मौत भारत के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। पश्चिम बंगाल के लिए यह एक संवेदनशील मसला है। दो सरकारी रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि उनकी हवाई यात्रा में ही मौत हुई, वहीं एक अन्य में इस बात को खारिज किया गया है। एक थ्योरी में तो यहां तक कहा गया है कि नेताजी ने विमान हादसे में बचने के बाद काफी वक्त यूपी के फैजाबाद में ‘गुमनामी बाबा’ के तौर पर बिताया। नेताजी की मौत पर जारी बहस हाल ही में उस वक्त तेज हो गई, जब उनसे जुड़ी बहुत सारी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया गया। बोस के परिवार से मिलकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस बात का आश्वासन दिया था कि वे विदेशों से सहयोग लेकर नेताजी से जुड़े अन्य तथ्यों से पर्दा हटाने की कोशिश करेंगे।