राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा समेत सभी भगवा दल और कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें कोई आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट मंजूर नहीं है। पात्रा ने कहा कि पार्टी इस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का व्यापक अध्ययन करेगी और संबंधित पक्ष इसको मिलकर सुलझाएंगे।
मामले में RSS विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर पहले से ही था। लिहाजा वहां राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए। मस्जिद का निर्माण नहीं होना चाहिए। इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से ही इस पर बातचीत का आधार बनता है। अब इसका समाधान ढूढ़ने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सिन्हा ने कहा कि बाबरी मस्जिद कमेटी इस बात के कोई ठोस साक्ष्य नहीं दे पाई कि वहां पर मस्जिद था। ऐसे में वहां पर राम मंदिर का निर्माण करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।