इसका अर्थ था इंग्लैंड यात्रा, 10 दिन बाद वह लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक ‘इनर टेंपल’ में दाख़िल हो गए। अपने 19वें जन्मदिन से लगभग एक महीने पहले ही 4 सितम्बर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये।
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